For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढाई आखर प्याज का ........अरुण कुमार निगम

प्याजी दोहे.....

मंडी की छत पर चढ़ा, मंद-मंद मुस्काय
ढाई आखर प्याज का, सबको रहा रुलाय ||

प्यार जताना बाद में , ओ मेरे सरताज
पहले लेकर आइये, मेरी खातिर प्याज ||

बदल   गये   हैं   देखिये , गोरी  के  अंदाज
भाव दिखाये इस तरह,ज्यों दिखलाये प्याज ||

तरकारी बिन प्याज की,ज्यों विधवा की मांग
दीवाली  बिन दीप की   या   होली बिन भांग ||

महँगाई  के  दौर  में , हो सजनी नाराज
साजन जी ले आइये, झटपट थोड़े प्याज ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 1:32am

दीवाली बिन दीप की, या होली बिन भांग

जहाँ बाँधना देव-ध्वज, रहे प्याज हम टांग ..........  जय-जय, आदरणीय.. .

बधाई व शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 28, 2013 at 8:49pm

हमे तो इन्तजार है कि इस बार भी प्याज में सरकार गिराने का दम है या नहीं ,वर्ना सब रोना बेकार हाहाहा
वैसे ये प्याजी दोहे पढ़कर मजा आ गया ,बधाई आपको ,कुछ और रुलाये तो सरकार गिराए ,शुभकामनायें

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 28, 2013 at 7:52pm

बहुत सुन्दर!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2013 at 7:35pm

वाह | क्या प्याज का स्वाद चखाया है दोहे के माध्यम से, हार्दिक बधाई भाई अरुण जी | जन्माष्टमी की शुभकामनाए 

प्याजी दोहे भा गए, मन मेरा  मुसकाय,

बहुत दिनों के बाद भी, नहीं कही मिल पाय |

 

प्याज की सौगात मिले, सबकी है यह मांग 

सरकारे सब मौन है,  राजनीति का  सांग |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 11:02am

वाह! बहुत खूब, सुंदर दोहावली पर हार्दिक बधाई आदरणीय अरुण जी

Comment by annapurna bajpai on August 27, 2013 at 10:51pm

प्यार को छोड़ अब 

ढूंढ रहे सब प्याज ,

हर घर मे होय रही 

पुकार पाजी रे  प्याज !!!!!!!!! 

 

आदरणीय अरुण जी आपकी इस सुंदर दोहवाली ने मन मोह लिया । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 10:29pm

हाहाहा हाहाहा हाहाहा 

बहुत सुन्दर प्याजावाली प्रस्तुत की है आदरणीय अरुण निगम जी 

पढ़ कर आनंद आ गया 

प्याजों पर तो रुलाने का इलज़ाम है.. दोहावली नें हँसा हँसा कर प्याज के सर से यह इलज़ाम हटा दिया :))))) हाहाहा 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by Neeraj Neer on August 27, 2013 at 7:19pm

मंडी की छत पर भी और मंदी की छत पर भी .. बहुत सुन्दर दोहे ... हार्दिक बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2013 at 5:41pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by बृजेश नीरज on August 27, 2013 at 5:12pm

वाह, वाह! बहुत खूब! लाजवाब! आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
13 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
14 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service