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ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,
जो कोई ध्यावे तन -मन से
उसका बेड़ा पार है.....

सृष्टि के कण -कण में
व्याप्त ओमकार है,
जीवन तत्व की धरोहर इसमें,
निहित ऊर्जा -का संचार है,

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,

मन -वीणा सुनो कभी,
उसमें बजता ओमकार बार-बार है,
जो न समझा इस सुर - ताल को,
उसका जीवन व्यर्थ नागवार है....

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,

त्रिदेवों के दर्शन पाने,
विचरता मनुज छोड़ घर -द्वार है ...
ॐ में ही समाहित
जन-हित का संसार है....

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,

ब्रह्मा - विष्णु - शिव
त्रिकाल दर्शन ही,
श्वास में बसाए ओमकार है,
बेसुध होकर नाचूँ मैं
जब मनवा गाये ओमकार है...

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,

पावन कर दे
चित्त - का आर है.....(आर-कोना )
ॐ भरे झंकार है
प्रभु जी तुम तो मेरे होना
अंतस करे पुकार है....

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,

नौका मेरी तट लगा दे
तू तो पतवार है....
मझधार में फंसा,
तेरा बच्चा, नादान है.....
श्रम करे तेरे द्वारे पहुँचने,
मार्ग-शीर्ष पहुँचाये ओमकार है,

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,

दीवा तेरा जलता रहे,
मन में फल निष्काम है,
आत्मज्ञान करावे मुझको
अलंकार तेरा जाप है....
ॐ ही सम्पूर्ण सुन्दरता,
मानव -धर्म समझना
मुक्ति आधार है,

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,

ध्यान का ये तल बने,
रस्ता मेरे लिए सहज चुने,
इन्द्रिये नियंत्रण करना सिखावे,
पहुँचाये मुझको
परम -धाम है.....

ॐ जग का सार है....
मुक्ति का आधार है,
जो कोई ध्यावे तन -मन से
उसका बेड़ा पार है.....Deepika Mandal

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Comment by Deepika Mandal on March 13, 2013 at 11:42pm

Vandana Tiwari:@@@ Abhar mam....

Comment by Deepika Mandal on March 13, 2013 at 11:41pm

Ram Shiromani Pathak:@@@ Shukriya sir...

Comment by Deepika Mandal on March 13, 2013 at 11:40pm

Savitri Rathore@@@ Bohot Bohot Dhanyavaad Mam....

Comment by Savitri Rathore on March 11, 2013 at 5:29pm

दीपिका जी 'ॐ' हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।कहते है कि सम्पूर्ण ब्रहमांड इस ओमकार में ही समाया है।इस तथ्य की व्याख्या करते हुए इतनी सुन्दर रचना प्रस्तुति सराहनीय है।बधाई हो।

Comment by ram shiromani pathak on March 11, 2013 at 4:24pm

'ॐ' पर इतने दिव्य विचार प्रस्तुत करने के लिए .हार्दिक  बधाई।

Comment by Vindu Babu on March 11, 2013 at 10:57am
हमारी वैदिक संस्कृति का आधार 'ॐ' पर इतने दिव्य विचार प्रस्तुत करने के लिए सादर बधाई।
हम सब को इस अलौकिक सार को आत्मसात करें ऐसी मंगलकामना करती हूं

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