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बेटी हूँ मैं अभागी बस मेरी है यही खता ......

कोई तो बता दे जरा , हुयी क्या हमसे खता
जमाना बैरी हुआ , सब गैर हुआ ऐसी क्या की खता
बेटी बन जन्म लिया , कसूर बस इतना किया

चाहा था कि मैं भी भैया की तरह खूब पढूंगी
माँ-बाप का नाम रौशन करुँगी
देश का ऊँचा नाम करुँगी
अपने सब सपने साकार करुँगी

लेकिन जब समाज से हुआ सामना
न कोई सपना रहा न कोई अपना
ज़माने की ठोकर मिली और अपनों के ताने
क्यूँ तुने जन्म लिया ओ ! अभागी

मैं गरीब बाप तेरा कहाँ से दहेज़ जुटाऊंगा
दहेज अगर जुटा न पाया तो कहाँ से डोली उठाऊंगा
जमाना दुश्मन हो गया किस-किस से लड़ मैं पाउँगा ....

ओ मेरी बहना ! क्यूँ तुने मुश्किल किया जीना
तेरी ही चिंता है कैसे करूँगा मैं तेरा गौना
मैं बदनसीब माँ तेरी तुझसे करूँ यही दुआ
बेटी को न जन्म देना, करना ना मेरी सी खता .....

घुट-घुट रोऊँ, घुट-घुट जियूं, पल-पल सोचूं
क्यूँ मैंने जन्म लिया क्यूँ मैंने की ये खता
अब मैंने ये जाना की मेरी है क्या खता
बेटी हूँ मैं अभागी बस मेरी है यही खता ......

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Comment

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Comment by Sonam Saini on September 10, 2012 at 9:16am

Welcome ............Parveen mam

Very well written.................... heart touching poem....................

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 8, 2012 at 8:15pm
beti ki vytha
sundar bhav
beti na hoti to kya hotA
beti beta ek saman
san main basti
maa baap ki jaan.
badhai.

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