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इंसानियत बगैर इंसान हैं! '' लोग ''

मतलब कठिन शब्दों काः-
1.तुर्बत = कब्र, 2.इख़्तिलात = मेलजोल, 3.इशरत = अहसास,
4.निस्बत = लगाव

ये कितना खुदगर्ज हुआ जरूरत में आदमी
जिस कदर बेखबर रहे तुर्बत1 में आदमी

इख़्तिलात2 किसी से न पेशे खिदमतगारी है
बेखुदी का परस्तिश है वहशत में आदमी

रहे सबको इशरत3 फकत् अपने सांसो की
नहीं सिवा इसके अब फुर्सत में आदमी

काटे सर गैरों की इलत्तिजाये ज़िन्दगी में
करे है दरिंदगी अपने निस्बत4 में आदमी

ढुंढ़े नहीं मिले नियाजे5 अदब वफाये पाक
बस मतलब निकालता है उलफ्त में आदमी

यूं तो ईल्मों तालिम से हर दिल इबरत मगर
करे खता पे खता नफरत में आदमी

दीवानगी-ए-शौक़ उस परिन्दे की जिस कदर
सैयादे हालात से गिरफ्त हसरत में आदमी

महज गजल न समझ इसे शरद कलाम तुं
वाक़िफ ईन हरकतों से हकिकत में आदमी

सुबोध कुमार शरद

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Comment by Subodh kumar on September 28, 2010 at 7:28pm
dhanyabaad bagi jee

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 28, 2010 at 6:11pm
यूं तो ईल्मों तालिम से हर दिल इबरत मगर
करे खता पे खता नफरत में आदमी,

वाह शरद बाबू वाह, यह ग़ज़ल तो गज़ब ढ़ा रही है , बहुत बढ़िया ,
Comment by Subodh kumar on September 28, 2010 at 6:44am
dhanyabaad ahish jee.
Comment by आशीष यादव on September 28, 2010 at 5:37am
wah subodh bhaiya. bahut sundar ghazal ki prastui ki hai ek baar fir apne.

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