For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो शब्द जीवन साथी से

सखी !

बस शब्द से कैसे

प्रकट तेरा करूँ आभार ?

 

क्या लिखूं ?

जिसमें समा जाए -

-नहाई देह की खुशबू

सुबह मेरी जो महकाती रही है !

-और होंठो की मधुर मुस्कान

जो बिखरी मेरे होंठो पे ऐसे खिलखिलाकर ,
भर गई मेरे ह्रदय में   

उष्णता अनमोल !

मरुथल में खिले जैसे

कुछ हँसी के फूल !

योग्य संभवतः नही पर

धन्य हूँ पाकर

दिए तुमने हैं जो उपहार !

सखी !

बस शब्द से कैसे

प्रकट तेरा करूँ आभार ?

 

ढूंढ कर लाऊं कहाँ से ?

शब्द ऐसे -

-जो तुम्हारे रात भर जागे नयन को

नींद का आराम दे दे !

-जो उनींदी उलझनों को

प्रात सी मुस्कान दे दे

क्या लिखूं मैं ?
जो तुम्हारे थकन को परिणाम दे दे !

और शक्ति दे कि तुम फिर

अन-थके दिन भर संभालो

आसमां का भार !
सखी !

बस शब्द से कैसे

प्रकट तेरा करूँ आभार ?

 

 

 

.......................................... अरुन श्री !

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on April 23, 2012 at 12:07pm

आदरणीय सौरभ सर , रचना में इतनी कमियों के बाद भी आपके द्वारा रचना का इतना सुन्दर अनुमोदन आसमान की उचाईयों को छू लेने आभास कराता है ! लेकिन पैरों को जमीन से नही उखड़ने नही देता ! आभारी हूँ !
कुछ परिवर्तन किया है कविता में ! समय मिले तो देखिएगा ! सादर !

Comment by Arun Sri on April 23, 2012 at 12:03pm

सुरेन्द्र भ्रमर सर , मेरे भावो को आपने इतना मान दिया इसके लिए धन्यवाद ! सादर !

Comment by Arun Sri on April 23, 2012 at 12:02pm

वंदना मैम , सराहना हेतु धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on April 23, 2012 at 12:01pm

महिमा श्री मैम , सराहना हेतु धन्यवाद , अच्छा लगा कि आपको मेरी इतनी पुरानी कविता याद है ! आभारी हूँ !

Comment by Arun Sri on April 23, 2012 at 12:00pm

दिव्या मैम , बहुत बहुत धन्यवाद ! साथ बनाए रखियेगा !

Comment by Arun Sri on April 23, 2012 at 12:00pm

सरिता सिन्हा मैम ,
वो फूल किसी और का था और ये सखी कोई और है !  क्यों बच्चे की पिटाई करवाना चाहती हैं ! :))) :))))))
आपको मेरी पुरानी कविता याद रही और आपने इतना अच्छा सुझाव दिया इसके लिए धन्यवाद ! आभारी हूँ !

Comment by Sarita Sinha on April 20, 2012 at 3:42pm

अरुण जी नमस्कार,

इतना असमंजस क्यूँ है?? वो किताब में से निकले हुए सूखे फूल दे दीजिये ना.....:-)
Comment by दिव्या on April 20, 2012 at 9:01am

प्रणय भाव को बहुत खुब्सुअरती से उभारा है ...........

Comment by MAHIMA SHREE on April 19, 2012 at 10:43pm

बहुत -२ बधाई आपको ..  श्रृंगार रस से भरी ,ह्रदय के कोमल भावो से सजी, हमे भाव विभोर करती रचना के लिए  ..

लगता ही नहीं की ये वही "कहो मानव" का गुस्सैल नायक है :)

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 17, 2012 at 11:39pm

क्या लिखूं ?

जिसमें समां जाए

नहाई देह की खुशबू ,

और तेरे होठ की मुस्कान जो

होठ पर मेरे बिखरकर ,

भर दिया जीवन में मेरे  

उष्णता अनमोल !

मरुथल को दिया जैसे

कुछ हँसी के फूल !

प्रिय अरुण जी अच्छी चाह ..स्नेहाशिक्त रचना  .भाव प्रणय  से रमी हुयी .....जय श्री राधे 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service