For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कलयुग में ऋण के बिना, सरे न कोई काम।

बड़ी बड़ी जो हस्तियाँ , ऋण ले बनी तमाम ॥ 

टाँक पैबंद वस्त्र  में, तब ढकते थे लाज।

लोग प्रदर्शन कर रहे, उन्हें फाड़कर आज॥

मूर्ति मात्र साधन सदा, ध्यान लगाएँ नित्य।

निराकार ईश्वर सदा, देखता सबके कृत्य॥ 

मान पुरुष को दे भले, सामाजिक परिवेश।

घर पर तो चलता सदा, पत्नी का आदेश॥  

कर विवेचना विविध विधि, रचते दोहा गीत।

मात्रिक गण क्यों खो गए, समझ न आए मीत॥

ओम प्रकाश शर्मा 

परीमहल, शिमला -9

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Om Parkash Sharma on August 5, 2021 at 7:35pm

Saurabh Pandey जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2021 at 12:02am

आदरणीय ओमप्रकाश शर्मा जी, आपके रचना-प्रयास से संभवत: पहली बार दो-चार हो रहा हूँ क्या ? 

तनिक सचेत रहें, तो दोहे छंद पर आपकी पकड़ बेहतर हो सकेगी. 

इस मंच पर उपलब्ध दोहा छंद के विधान को पढ़ कर कृपया मनन करें. यह ही उचित होगा. 

शुभ-शुभ 

Comment by Om Parkash Sharma on July 21, 2021 at 7:42pm

 आदरणीय Samar kabeer जी उत्साहवर्धन  और सही मार्ग दर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Samar kabeer on July 21, 2021 at 3:23pm

जनाब ओमप्रकाश जी आदाब,दोहों का अच्छा प्रयास है,लेकिन अभी आपको इसके विधान का अध्यन करना होगा, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 21, 2021 at 10:53am

आ. भाई ओम प्रकाश जी, सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई । 

दूसरे दोहे में वसन को वस्त्र करने से विन्यास अच्छा लगेगा। देखिएगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service