For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आती है जब शमीम-ए-सदाक़त ज़बान से(१२२ )

( 221 2121 1221 212 )
आती है जब शमीम-ए-सदाक़त ज़बान से
तो क्यों चले न हम जहाँ में यार शान से
जैसे बदलती रुख़ है सबा अपना यक ब यक
वैसे कभी पलटते नहीं हम बयान से
कार-ए-जियाँ में कट रही कैसे है ज़िंदगी
पूछेगा दर्द कौन किसी नौ-जवान से
मेरी सलामती है सुबूत-ए-शिक़स्त-ए-ज़ुल्म
ख़ाली गया है तीर जो निकला कमान से
इज्ज़त बचानी आपको है बज़्म में अगर
तो गुफ्तगू करें न किसी बदज़बान से
शाख़ों से तोड़ पाए न कच्ची कली कोई
उम्मीद है चमन के हर इक बाग़बान से
जीना किसी के वास्ते आसान कब हुआ
गुज़रा नहीं है कौन यहाँ इम्तिहान से
सीखें अदब तमीज़-ओ-शराफ़त जनाब ख़ुद
ग़ायब हैं ऐसे लाल-ओ-गुहर अब दुकान से
अपने ही आस पास ख़ुशी ढूंढिए 'तुरंत '
बारिश ख़ुशी की होती नहीं आसमान से
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 11, 2020 at 3:41pm

आदरणीय Harash Mahajan जी ,इस प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार  

Comment by Harash Mahajan on September 11, 2020 at 12:36pm

वाह आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी बहुत ही उम्दा । कितना सपाट कहा है "

इज्ज़त बचानी आपको है बज़्म में अगर
तो गुफ्तगू करें न किसी बदज़बान से"
  • ये तो बहुत पसंद आया मगर
पूरी ग़ज़ल ही शानदार ।
सादर
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 11, 2020 at 8:48am

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी इस प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार  

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 11, 2020 at 8:47am

आदरणीय आशीष यादव  जी , इस प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 11, 2020 at 8:07am

आ. भाई गिरधारी सिंह जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by आशीष यादव on September 10, 2020 at 10:07pm

आदरणीय श्री गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी जी बहुत सुंदर गजल बनी है। हर शेर बेहतरीन है। पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service