ज़ेहन मे दीवार जो सबने उठा ली है,
रातें भी नही रोशन, शहर भी काली है |
मालिक ने अता की है, एक ज़िंदगी फूलों सी,
काँटों से बनी माला क्यूँ कंठ मे डाली है |
कैसी ये तरक्की है , कैसी ये खुशहाली है,
पैसे से जेब भारी, दिल प्यार से खाली है |
दर्द फ़क़त अपना ही दर्द सा लगता है,
औरों के दर्द-ओ-गम से आँख चुरा ली है |
किस-किस को सुनाएँगे अफ़साना-ए-हयात अब,
बेहतर है खामोशी, जो लब पे सज़ा ली है |
Zehan me deewaar jo sabne uttha lee hai.......
Raate.n bhi nahi roshan , sahar bhi kaali hai ......
MaaliQ ne ataa ki hai , ek zindagi phoolo.n si ........
Kaanto.n se bani mala kyun kanth me daali hai .......
Kaisi ye tarakki hai , kaisi ye khush_haali hai .......
Paise se jeb bhaari , dil pyaar se khaali hai ........
Dard faqat apna hi dard sa lagta hai ......
Auro.n ke dard - o - gham se aankh chura lee hai .......
Kis - kis ko sunayenge afsaana -e -hayat ab ......
Behtar hai khamoshi , jo lab pe saja lee hai ..............raavi :-)
Comment
इस दिलकश गजल के लिए प्रभा खन्ना बधाई की पात्र हैं।
प्रभा, बहुत खूबसूरत गजल लिखी है....
''किस-किस को सुनाएँगे अफ़साना-ए-हयात अब,
बेहतर है खामोशी, जो लब पे सज़ा ली है |''
Sabhi mitrron ka haardik aabhaar... Bahot bahot shukriya !
मालिक ने अता की हे एक जिंदगी फूलों सी
कांटों से बनी माला क्यूँ कण्ठ में डाली हे |.हम सब कंही न कंही ऐसा ही करते हें .
बहुत सुंदर अभिव्यकती,
वाह् प्रभा जी ,क्या शेर खुबसुरत गजल है । मुझे जिन शेरमे दिल लगी चुराकर ले गए-
कैसी ये तरक्की है , कैसी ये खुशहाली है,
पैसे से जेब भारी, दिल प्यार से खाली है |
कैसी ये तरक्की है , कैसी ये खुशहाली है,
पैसे से जेब भारी, दिल प्यार से खाली है | wah bahut khoob hai Prabha ! g
bahut hi umda ...bahut badhai is khubsurat gazal ke liye...
मित्रों, सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद... Post को हिन्दी मे कर देने के लिए शुक्रिया :)
//मालिक ने अता की है, एक ज़िंदगी फूलों सी,
काँटों से बनी माला क्यूँ कंठ मे डाली है |//
इस शेर पर दिल से दाद पेश कर रह हूँ. बधाई.
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