For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'देखो हिंदौस्तान फूँकता है'

2122 1212 112/22

जिस्म में पहले जान फूँकता है

बाद-अज़-जाँ अज़ान फूँकता है

सब्र कर शब गुज़र ही जाएगी

क्यों ये अपना मकान फूँकता है

अपनी नफ़रत की आग से कोई

देखो हिंदौस्तान फूँकता है

पास आकर वो गर्म साँसों से

मेरे दिल का जहान फूँकता है

आग तो सर्द हो चुकी कब की

क्यों अबस राखदान फूँकता है

हुक्म से रब के ल'अल मरयम का

देखो मुर्दे में जान फूँकता है

रोज़ आयात पढ़ के क़ुरआँ की

मुझ प इक मह्रबान फूँकता है

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1090

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on June 9, 2021 at 11:27am

जनाब निलेश जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आभार ।

दूसरे शैर में 'शब' को अँधेरे के इस्तिआरे के रूप में लिया है ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 9, 2021 at 10:44am

आ. समर सर,
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई ..
दूसरे शेर में शब के गुजरने का मकान से सम्बन्ध समझ नहीं आया 
सादर 

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:25pm

मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:24pm

जनाब अनीस शैख़ जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ 

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:22pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:21pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:19pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:18pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:17pm

जनाब नाहक़ जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 2:16pm

जनाब सी.एम. उपाध्याय जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

मनोरमा जैन पाखी left a comment for मनोरमा जैन पाखी
"धन्यवाद आद. योगराज प्रभाकर सर जी"
13 hours ago
मनोरमा जैन पाखी updated their profile
13 hours ago
Manoj Misran is now a member of Open Books Online
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी सादर"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय Mahendra Kumar जी  1. मतला ग़ज़ल का पहला शे'र और सबसे अह्म हिस्सा होता है। उसे…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
" जी ठीक है हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से जानाँ "आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा सादर हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती "आपके मिलने…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय महेंद्र जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service