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गज़ल: बच्चा बच्चा मर मिटेगा अपने हिंदुस्तान पर

2122 2122 2122 212

आंच आई गर कभी इस देश के अभिमान पर
बच्चा बच्चा मर मिटेगा अपने हिंदुस्तान पर//1

ये तिरंगा झुक नहीं सकता किसी के सामने
सर कटा देंगे हम अपना इसकी ऊंची शान पर//2

चाहे जितनी मुश्किलें आएं हमारी राह में
दाग़ हम लगने न देंगे देश के सम्मान पर//3

जीत लेंगे जंग हम दुश्मन लड़े चाहे जहां
ख़ौफ़ बरपा हम करेंगे शत्रु की मुस्कान पर//4

ज़ुल्म हम करते नहीं पर ज़ुल्म सहते भी नहीं
है भरोसा हमको अपने शांति के अभियान पर//5

गर तमन्ना है कि तू सदियों तलक ज़िंदा रहे
शौक़ से हो जा शहीद अपने वतन की आन पर//6

झूठ का डंका बजा है हर तरफ़ बस शोर है
सच निछावर हो गया है वक़्त के मीज़ान पर//7

अन्नदाता भूख से जब मर रहा हो हर कहीं
उंगलियाँ उठनी हैं लाज़िम वक़्त के सुल्तान पर//8

चंद सिक्कों के लिए जो बिक गए बाजार में
वो नसीहत कर रहे हैं मर मिटो ईमान पर//9

एक क़तरा खूँ कभी जिनका न मिट्टी में गिरा
ज़ोर वो भी दे रहे हैं जंग के ऐलान पर//10

आज टीवी देखकर विज्ञान भी शर्मिंदा है
ज़ह्र कैसे बो रहा ये धर्म के उन्वान पर//11

मौलिक और प्रकशित 

--क़मर जौनपुरी

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Comment by क़मर जौनपुरी on March 12, 2019 at 8:47am

मोहतरम समर कबीर साहब आदाब।

बहुत बहुत शुक्रिया आपका हौसला आफ़ज़ाई के लिए। ममनून हूँ आपका।

Comment by Samar kabeer on March 12, 2019 at 8:39am

जनाब क़मर जौनपुरी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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