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तेरी मीठी बातों से ही
भरता मेरा पेट प्रिय,
जिस दिन तू गुमसुम रहती है-
भूखा मैं सो जाता हूँ !!

मैखाना, ये आँखें तेरी
पीने दे मत रोक प्रिय,
जब जब ये छलका करती हैं-
और बहक मैं जाता हूँ !!

रहता हूँ तेरे दिल में मैं
बनकर तेरा दास प्रिय,
जब भी टूटा है दिल तेरा-
तब मैं बेघर हो जाता हूँ !!

मदहोश सा कुछ हो जाता हूँ
जब होती हो तुम साथ प्रिय,
छू कर निकलूँ जो लव तेरे तो-
ज़ुल्फ़ों में खो जाता हूँ !!

तू ही कह दे अब कहाँ गुजारूँ
तुझ बिन अपनी रात प्रिय,
तेरी ही बाहों में अक्सर-
थककर के मैं सो जाता हूँ !!

तुम बिन मेरा जीवित रहना
है नामुमकिन सी बात प्रिय,
तुम बिन जीने को सोचूँ तो-
पागल सा मैं हो जाता हूँ !!

कई जरूरत थीं मेरी-
जो हुई मुकम्मल आज प्रिय,
तू ही तो मेरी सब कुछ है-
मैं तुझमें ही सब पाता हूँ !!

तेरी आँखों में ये आँसू
ना देख सकूँगा आज प्रिय,
मैं तो तेरे दिल में ही हूँ-
कब छोड़ तुझे मैं जाता हूँ !!

( मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by स्वतंत्र लेखिका on January 14, 2019 at 12:17pm

आदरणीय महेन्द्र जी नमस्कार,

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।।

Comment by Mahendra Kumar on January 7, 2019 at 7:56pm

अच्छी रचना है आदरणीया रक्षिता सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by स्वतंत्र लेखिका on January 6, 2019 at 1:06am
आदरणीय कबीर जी, नमस्कार
आपको रचना पसंद आई तो अवश्य ही मेरा लिखना सार्थक हुआ ..
रचना पर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , कृपा मार्गदर्शक बनायें रखें। ।
Comment by Samar kabeer on January 5, 2019 at 12:08pm

मोहतरमा रक्षिता सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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