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सजाये कुमकुम अक्षत की थाल
मन में भर अटूट प्रेम स्नेह
आशीष भरे हाथ तिलक लगाएँ
भाई के भाल पर।

बीती बातें बचपन की
वो लड़ाई झगडे भाई बहन के
स्नेह प्यार ही बचे रहे
भाई-बहन के ह्रदय में।

अनमोल वादा रक्षा का
बहन पाए भाई से
भाई-दूज के अवसर पर
मन क्यों न हर्षित हो जाये।

दूर रहे या पास रहे भाई
खुशहाली की कामना लिए भाई की
स्नेह प्रेम का दीप जलाये बहन
ऐसा ही रिश्ता भाई-बहन का.

भाई-बहन के रिश्तों की
याद दिलाने स्नेह के बंधन को
खुशहाली भरा मंगल पर्व
भाई दूज का त्यौहार

 

... मौलिक एवं अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 14, 2018 at 5:18pm

आदरणीया नीलम जी, एक अरसे बाद आपकी रचना से ग़ुज़रना हो रहा है. आपकी रचना का स्वागत है.

कविता का कथ्य भावमय है. रचना के कवित्व को तनिक और निखार दिया जा सकता था. 

कृपया नियमित रहें और सतत रचनाकर्म करते चलें. 

सादर

Comment by राज़ नवादवी on November 12, 2018 at 12:49pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आदाब,बहुत ही सुंदर कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई। सादर। 

Comment by Neelam Upadhyaya on November 12, 2018 at 11:41am

आदरणीय समर कबीर जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on November 11, 2018 at 6:43pm

मुहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on November 9, 2018 at 10:17am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आप जैसे गुणी  जनो का मार्ग दर्शन बहुत भाग्य से प्राप्त होता  है।  रचना की तारीफ के लिए बहुत बहुत आभार ।  

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 8, 2018 at 8:49pm

आदाब। बहुत ही शिक्षाप्रद व बढ़िया संदेशवाहक सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीयानीलम उपाध्याय  साहिबा। /झगडे =झगड़े/, /ह्रदय = हृदय/। इन्हीं पंक्तियों में से बढ़िया हाइकु सृजित हो सकते हैं। यथा : / भाई का भाल, अक्षत कुमकुम, आशीष-स्नेह/

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