For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार का सारांश कोई  छान कर लाये वहाँ से

पारदर्शी प्यार के सन्दर्भ   दिखते हों जहां से 

कृष्ण केवल राधिका का है दिवाना मान लूं तो

मोर का फिर पंख तेरी सेज पर आया कहाँ से 

  ( 2122 2122 2122  2122 )

जो सहारों के सहारे हैं,  सरसते वे नही

फाड़ देते जो धरा को हैं तरसते वे नही 

चापलूसों की हकीकत है मुझे बेशक पता 

जानता हूँ जो गरजते हैं,  बरसते वे नही

  (2122 2122 2122  212)

वक्त था जब मैं तुम्हारे प्यार को परिमापती थी

नित्य नव उल्लास में   सारी दिशाएं नापती थी  

तुम गए हो भूल पर,   भूली नही हूँ मैं दिवानी   

वह अधर स्पर्श जिस पर  बांसुरी सा कांपती थी 

(२१२२     २१२२      २१२२    २१२२)

जीवन में कब किस हाल में रहना पड़े

अपनी पीड़ा  तरु-विहग से कहना पड़े

किसे पता है भाग्य क्या दिन दिखाएगा

हमें  बनवास  श्री राम सा सहना पड़े

(8,7,7 )

(मौलिक/अप्रकाशित )

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 5, 2018 at 7:08pm

आभार सुशील सरना जी .

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2018 at 3:21pm

वाह वाह और वाह आदरणीय डॉ गोपाल नारायन जी ... गहन भावों की इन अप्रतिम मुक्तकों की प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें सर और उपन्यास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं सर।

Comment by Samar kabeer on August 5, 2018 at 2:12pm

आपका उपन्यास जल्द पूरा हो ऐसी कामना करता हूँ ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 5, 2018 at 12:32pm

आ० समर कबीर जी ' ओ बी ओ  मेरा पहला  क्रश है . मैं भले इस समय सक्रिय नही हूँ पर एक उपन्यास  रचना में  व्यस्त होने के कारंण  . ओ बी ओ लखनऊचैप्टर  का मैं सबसे सक्रिय और अनुशासित सदस्य हूँ . ओ बी ओ  के लगभग सभी पदाधिकारियों का स्नेह भी मुझे प्राप्त है . उपन्यास अंतिम चरण में है शीघ्र ही  सक्रियता फिर बनेगी . आपने मुक्तक पर उत्साहवर्धक टीप दी इस हेतु शुक्रिया . सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 5, 2018 at 12:23pm

आ० नरेन्द्र चौहान  जी 

आपका सादर आभार 

Comment by Samar kabeer on August 4, 2018 at 11:47am

जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जो आदाब,चारों ही मुक्तक उम्दा हुए हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

अव्वल तो आप ओबीओ पर आते ही नहीं,और कभी भूले भटके अपनी रचना लेकर आते हैं तो उन पर आई टिप्पणियों के जवाब भी नहीं देते,आपको तो मंच पर सक्रिय रहना चाहिए मुहतरम ।

Comment by narendrasinh chauhan on August 3, 2018 at 10:33pm
खुब सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service