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ग़ज़ल इस्लाह के लिए :मनोज अहसास

2122  2122  2122  212

मेरे जीने का भी कोई फलसफा लिख जाइये
आप मेरी चाहतों को हादसा लिख जाइये

आपका जाना ज़रूरी है मुझे मालूम है
हो सके तो मेरी खातिर रास्ता लिख जाइये

नींद मेरी धड़कनों के शोर से बेचैन है
मेरे जीवन मे विरह का रतजगा लिख जाइये

आप अपना नाम लिख लीजै मसीहाओं के बीच
बस हमारे नाम के आगे वफ़ा लिख जाइये

गर जुदा होकर ही खुश हैं आप तो अच्छा ही है
पर हमारी चाहतों को ही खरा लिख जाइये

जुड़ गया जिनसे मुकद्दर अब तेरे 'अहसास' का
उन सभी के वास्ते कोई दुआ लिख जाइये

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 31, 2017 at 5:38pm

आदर्णीय मनोज अहसास  साहब खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिये बधाई।

Comment by मनोज अहसास on December 31, 2017 at 2:29pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब

सादर

Comment by Mohammed Arif on December 31, 2017 at 7:31am

आदरणीय मनोज कुमार जी आदाब,

                              अच्छे अश'आरों से सुसज्जित बढ़िया ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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