For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नंगे सच का द्वंद

नंगे सच का द्वंद

मुझे सड़क पार करने की जल्दी थी और मैं डीवाईडर पर खड़ा था |मेरी दृष्टी उसकी पीठ पर पड़ी और मैं कुछ देर तक चोरों की भांति उसे देखता रहा |क्षत-विक्षत शाल से ढकी और पटरी की दो समांतर ग्रील से कटती उसकी पीठ  रामलीला का टूटा शिव-धनुष प्रतीत हो रही थी |

एक दिन पहले ही आई बरसात से मुख्य मार्ग की किनारियाँ कीचड़ से पटी पड़ी थी और सभ्य और जागरूक समाज द्वारा यहाँ-वहाँ फैलाया गया कचरा ऐसे लग रहा था मानों किसी प्लेन काली साड़ी के स्लेटी बार्डर पर जगह-जगह लगे दाग |

वो जहाँ बैठी थी उससे 10 फीट की दूरी पर कचरे का छोटा टीला था |लोग उसके दाएं-बाएँ से गुजर रहे थे |कुछ रुक कर उसे एक दृष्टी  देखते और कुछ अपनी हडबडी में अनदेखा कर आगे बढ़ जाते |कुछ नाक पर हाथ रख तो कुछ बेपरवाही से अपनी दौड़ में व्यस्त पर रुकने का साहस किसी में ना था |

विचारों की तंद्रा टूटी तो मैंने सड़क पार की और उस तरफ से निकलने लगा जिधर वो घुटने में सिर दबाए बैठी थी |

वो बैठी-बैठी कुछ बड़बड़ा रही थी |अचानक से उसने मेरी तरफ देखा और उसकी लाल-लाल आँखे मेरी आँखों से टकरा गईं |मैंने झटपट अपनी नजर घुमाई और आसमान की तरफ देखा काले-सफ़ेद मेघ-मंडलों में से कहीं-कहीं से लाल रोशनी फूट रही थी |

उस एक दृष्टी में मैंने उसके लंबे,स्लेटी और लू लगी कोपड़ की तरह हो चुके चहरे को भी देख लिया |मैंने फिर उसकी तरफ देखा वो घुटने में खुद को दबाए ठंड से बचने का संघर्ष कर रही थी |सड़क की ग्रील और बांस पर टिकी,गीले टाट-चिथड़ों से ढकी उसकी छत उसी की तरह घुटनों में सिर दबाए हुई थी |उसके पास रखी गठरी,कंबल सब गीले थे |एक दिन पहले ही सरदी की पहली बारिश हुई  थी |

व्यक्तिवादी ने खुश होकर कहा-तो आज से लिखना शुरु

अंतरात्मा ने धिक्कारा-रे पामर,लोभी !

मानवतावाद जागा -क्या इसे प्लास्टिक की शीट लाकर दे दूँ या रैन-बसेरे में भेजने का यत्न करूं !

“प्रकृतिवादी यथार्थवादी एक साथ बोले-“डोन्ट डिस्टर्ब ,लेट्स दी शो गो इट्स वे |”

 निराला ने धीरे से कानों में कहा-“वियोगी होगा पहला कवि,आह से उपजा होगा गान |”

तभी मार्क्सवाद ने चिल्ला के कहा-“क्रांति,लाल झंडा,आम-आदमी |”

तभी तिपहियां पर भागते हुए स्पीकर आया -“हमारी योजनाएँ हाशिए पर पड़े हर उस इंसान के लिए है जिसे शोषणकारी प्रवृत्ति ने निचोड़ लिया है | उसमें बैठे आदमी ने मुझे एक पर्चा थमाया और तिपहिया आगे निकल गया |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

 

 

 

 

 

 

 

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 16, 2017 at 8:46pm

सच का यथार्थ चित्रण..खूब किया..

Comment by Samar kabeer on December 14, 2017 at 5:20pm

जनाब सोमेश जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 13, 2017 at 11:53am

अदरणीय सोमेश जी, अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 13, 2017 at 10:02am

हार्दिक बधाई आदरणीय सोमेश कुमार जी।बेहतरीन प्रस्तुति।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
11 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
23 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
27 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
38 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
50 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
54 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service