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तुम शब्द हो

और मैं अर्थ

तुम हो तो मैं हुं

शब्द बिन अर्थ बेकार

निशब्द संसार

 

तुम प्रीत हो

और मैं जोगन

तुम हो तो जीवन रोशन

प्रीत बिन जोगन निराधार

निशब्द संसार

 

तुम सुर हो

और मैं ताल

तुम संग सुरमय दिनरात

सुर बिन ताल एक विलाप

निशब्द संसार

 

तुम दिल हो

और मैं जान

सांसे धडकन की पहचान

दिल बिन जान, मौत का समान

निशब्द संसार

 

तुम किताब हो

और मैं पन्ना

बूंदो का एक झरना

किताब बिन पन्ना बेजुबान

निशब्द संसार !

 

= जयति जैन "नूतन" ...

( मौलिक , स्वरचित और अप्रकाशित  )

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Comment

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Comment by जयति जैन "नूतन" on December 8, 2017 at 2:19pm

सभी का तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 2, 2017 at 9:47pm
अप्रतिम रचना,आदरणीया जयति जैन जी कोटिशः बधाइयाँ स्वीकार करें।
Comment by Samar kabeer on December 2, 2017 at 11:50am
मोहतरमा जयति जैन "नूतन"जी आदाब, अच्छी रचना हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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