For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देर रात चार-पाँच लड़कियों का झुंड बदहवास , घबराया हुआ जब पुलिस स्टेशन में दाखिल हुआ तो पुलिस वालों के भी होश उड़ गए । पहले उन्हें बैठाया गया । ढाँढस बँधाया । फिर थानेदार साहब ने कहा-"हाँ , अब बताइए क्या हुआ ?"
" कुछ लड़कों ने हमारी कार का पीछा किया , हमें किडनैप करने की कोशिश की । बड़ी मुश्किल से जान बचाकर यहाँ तक आईं हैं ।" उनमें से एक लड़की ने आपबीती सुनाई ।
" देर रात आप घर से बाहर क्यों निकली ?" थानेदार साहब ने आखिर अपनी औकात बता ही दी ।
" यदि आप लड़कों को देर रात घर से बाहर न निकलने दें तो लड़कियाँ अपने आप सुरक्षित हो जाएगी । लड़कों को समझाइए ।" थानेदार साहब सकपका गए ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on August 14, 2017 at 8:19am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सी.एम. उपाध्याय जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 14, 2017 at 12:24am

नर-नारी समानता के अधिकार और हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर एक अच्छी लघुकथा पढ़ने को मिली | आपको हार्दिक बधाई |  

Comment by Nita Kasar on August 11, 2017 at 9:44pm
सारे नियम क़ानून लड़कियों के लिये ही क्यों लड़कों के लिये भी ये नियम लागू होना चाहिये ।बधाई आपको आद० मोहम्मद आरिफ़ जी ।
Comment by Mohammed Arif on August 9, 2017 at 8:00pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदाब , दर असल मैं आपकी ही टिप्पणी का इंतज़ार कर रहा था । आपकी उत्साहजनक और सुधारवादी टिप्पणी पाकर संबल मिला । आगामी लेखन में ध्यान रखूँगा । बहुत-बहुत शुक्रिया और आभार ।
Comment by Samar kabeer on August 9, 2017 at 6:53pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,12 पंक्तियों की लघुकथा बहुत उम्दा हुई है,कथानक भी अच्छा है,लेकिन अंत कुछ और मज़बूत होना था । बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on August 9, 2017 at 8:26am
बहुत-बहुत आभार आदरणीया वसुधा गाडगिल जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by Mohammed Arif on August 9, 2017 at 8:25am
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,आपकी उन्मुक्त , सटीक और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूल । बहुत-बहुत दिली आभार ।
Comment by VASUDHA GADGIL on August 9, 2017 at 8:05am
उम्दा कटाक्ष
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 8, 2017 at 9:28pm
समानता के अधिकार/सुरक्षा व्यवस्था/ नियमों-कानूनों पर कटाक्षपूर्ण विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब।
Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 9:14pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी । आपकी त्वरित टिप्पणी ने लेखन सार्थक बना दिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service