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इतनी ज्यादा बात न कर

वादों की बरसात न कर

 

ह्रदय बड़ा ही नाजुक है,

उस पर यूँ आघात न कर

 

ख्यात न हो कुछ बात नहीं,

पर खुद को कुख्यात न कर

 

मानव को मानव रहने दे,

ऊंची नीची जात न कर

 

खुलकर गले न मिल पाए,

पैदा वो हालात न कर

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 1:35pm
आदरणीया y Arpana Sharma जी एवं आदरणीय Mohammed Arif जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 1:35pm
आदरणीया y Arpana Sharma जी एवं आदरणीय Mohammed Arif जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 8:46am

आदरणीय Mahendra Kumar जी आपका   हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 8:46am

 आदरणीय narendrasinh chauhan जी हौसलाफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 8:45am

 आदरणीय vijay nikoreजी हौसला अफजाई के लिए  आपका ह्रदय से आभार 

Comment by Mahendra Kumar on June 5, 2017 at 7:34pm

आ. बसंत जी, बढ़िया लगी आपकी ग़ज़ल. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by narendrasinh chauhan on June 3, 2017 at 5:30pm

सुन्दर रचना 

Comment by vijay nikore on June 3, 2017 at 3:23pm

बहुत ही अच्छी गज़ल के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय बसंत जी

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 1:19pm

आदरणीया KALPANA BHATT जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 1:18pm

आदरणीया Arpana Sharma जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया पर आपका ह्रदय से आभार 

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