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पहले के जमाने में कुटनी औरते आती थीं और आपका सारा भेद लेकर चली जाती थी। आज भी यह परम्परा बरकरार है। कुछ औरतों का काम है कि अन्य घरों का समाचार लेकर अपने इच्छित स्थानों पर पहुंचाती हैं।और उसके द्वारा संबंधित व्यक्ति का मनमाना नुकसान करती हैं। क्या आज के समाज में ऐसे लोगों का बहिष्कार संभव नहीं है? यदि आप ऐसों से बच जाते हैं तो आगे आप का भला ही भला है।ी
एक ऐसी ही कहानी है कुटनी की जो हमारे गांव की है और आये दिन किसी न किसी के घर में हंगामा बरपा कर ही चैन लेती है। नाम है उसका रेशमी काकी। रेशमी काकी जब तक दो चार घर घूम नहीं लेती हैं तब तक वे नाश्ता नहीं करती हैं।
वे राम नाथ के घर में गई और उसके बहू से कहा कि तुम्हारी सास कहां हैं। बहू ने जवाब दिया वे बाजार गई हैं। यह सुनकर काकी बैठ गई और कहने लगी कि आज कल तुम्हारी सास घर के काम में ज्यादा ध्यान दे रही हैं। क्या तुम्हारे पति के यहां से पैसा आया है? तुम उसके खर्च पर ध्यान देना क्योकि अधिक खर्च से नुकसान होगा और आगे के दिनों में तुम्हें परेशानी का सामना करना प ड़ेगा। बहू कुछ न बोली । थोड़ी देर इधर-उधर की बाते करके काकी अपने घर चली गई। मौलिक व अप्रकाशित
उधर जब सास लौटी तो बहू ने पूछा कि बाजार से क्या-क्या लायी हैं। सास ने कुछ सामानों के बारे में बताया । परंतु सास के मन में शंका हो गयी । जो बहू आज तक कुछ न हीं बोलती थी। आज बाजार के बारे में कैसे पूछ बैठी। उन्होंने पूछा कि कोई आदमी आया था। बहू ने बताया कि रेशमी काकी आई थी। उन्होंने बाहरीपैसा का ख्याल रखने की बात कही।
यह सुनकर सास ने कहा कि देखा रेशमी काकी की बात पर ध्यान न देना क्योंकि वह ठीक औरत नहीं है उनका काम है इधर की बात उधर करना जिससे घर बिगड़ जाय। बहु का मुंह यह सुनकर रूंआसा हो गया उसे बेहद अफसोस हुआ। उसने अपने सास से माफी मांग ली। और आगे से उनकी किसी बात पर विश्वास न करने का वचन दिया।
थोड़ी देर बाद रेशमी काकी उनके पास आयी और सास से इधर उधर की बात के बाद बाहर से आये पैसा की बात डाली ।सास के यह सुनकर बदन में आग लग गयी लेकिन संयम के साथ जवाब दिया कि देखो काकी मेरे बेटे और बहुएं इतनी समझ दार है कि उन्होंने किसी भी पैसा का आज तक मुझसे हिसाब नहीं लिया। मुझे जो इच्छा करती वही खरीदती बेचती हूं। मेरा हाथ अभी तक किसी ने नहीं पकड़ा है। यह सुनकर रेशमी काकी मन ही मन लज्जित हो गयी।

 मौलिक व अप्रकाशित

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