For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(आइना क्यूँ आज....)

2122 2122 212

आइना क्यूँ आज बेईमान है
चल रहा चेहरे' चढ़ा इंसान है।1

घूमता बेखौफ सीना तानकर
लग रहा यह आदमी नादान है।2

पूछते सब आइने से डाँटकर
कौन मुजरिम की बता पहचान है।3

रात में पड़ताल चेहरों की कहाँ
झुर्रियों में मस्तियों की खान है।4

सूलियाँ भी देख अब शरमा रहीं
चढ़ रहा जिसको मिला फरमान है।5

आइना पहचानता मुल्जिम नहीं
बिक रहा सब कह रहे ईमान है।6

चश्मदीदों का उजड़ता गाँव ही
हो गयी फर्जी गवाही शान है।7

कातिलों का है ठिकाना कुछ नहीं
अब सुबह का ही रहा इमकान है।8

सब मुखौटों को उड़ा देगा अभी
उठ रहा जो अब बड़ा तूफान है।9
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on July 4, 2016 at 7:48pm
आदरणीय गिरिराज भाई आभार आपका,परिमार्जन करता हूँ।
Comment by Manan Kumar singh on July 4, 2016 at 7:44pm
आभार आदरणीय रवि जी,सलाह के लिए शुक्रिया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 4, 2016 at 3:44pm

आदरणीय मनन भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ आपको ।
पूछ रहे सब आज उससे डाँटकर -- ये मिसरा फिर देख लें , बहर से खारिज है

सब मुखौटों को उड़ा देगा अभी
अब बड़ा-सा उठ रहा तूफान है   --- बहुत बढिया !  उठ रहा जो अब बड़ा तूफान है  -- और अच्छा लगे शायद ।

Comment by Ravi Shukla on July 4, 2016 at 1:22pm

आदरणीय मनन जी  गजल के प्रयास के लिये बधाई स्‍वीकार करें 

पूछ रहे सब आज उससे डाँटकर
कौन मुजरिम की बता पहचान है। इस के उला में बह्र बाधित हो रही है । 

अशआर में बात को और साफ कहने के लिये थोड़ा समय और देने की जरूरत है । सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service