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मेरी उबड़ -खाबड़ गज़लें ( भाग -३)

तुम्हें दिखाउगा आइना, क्योकि वह केवल सच बोलता है
उनके लिए कौन लडेगा , जो केवल अपना हक मांगता है ॥

क्या मेरा इधर -उधर झाकना , तुम्हें नागबार लगता है
तो खुद ही बता दो वे बातें , जो हमें ख़राब लगता है ॥

सूरज तो निकलेगा एक दिन ,बादलों की उम्र ही क्या है
सच्चाई वय़ा करेंगे वे लोग , जिन्हें आज डर लगता है ॥

वो परेशां है इसलिए क़ि उनकी झूठ पकड़ ली गई है
इधर देखें ,उधर देंखें वे कही देखें , अब शर्म लगता है ॥

वे नंगे थे शुरू से ही ,नंगापन अबतक छुपाते रहे
जहर क्या दोगे उन्हें बबन , फाँसी भी कम लगता है ॥
--------------------बबन पाण्डेय

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Comment by Admin on June 21, 2010 at 12:23pm
क्या मेरा इधर -उधर झाकना , तुम्हें नागबार लगता है
तो खुद ही बता दो वे बातें , जो हमें ख़राब लगता है ॥

अच्छी ग़ज़ल कहा है बब्बन भाई, सभी शेअर अर्थपूर्ण है ,बहुत बढ़िया ,

कृपया ध्यान दे...

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