For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गंगा में बह रहे हैं फूल

आज तुम असमंजस में क्यूँ हो

देखकर गंगा में बहते फूलों को

जब तुम ही नहीं हो अब सुनने को

अब अपाहिज हुए अनुभूत तथ्यों को

अंधेरे बंद कमरे में कल रात

बड़ी देर तक ठहर गई थी रात

अकुलाती, दर्द भरी, रतजगी

आस्था रह न गई

ख़्यालों के अनबूझे ब्रह्माण्ड में

छटपटाती छिपी हुई कोई गहरी पहचान

भोर से पहले रात की अंतिम-दम चीखें

अन्धकार भरे अम्बर में जीवन्त पीड़ा

ऐसे में हमारे निजी अनुभूत तथ्यों ने

लिख कर फ़ातिया मेरी छाती पर

कल रात के काले फैलाव में कर ली 

ज़हर-जल पी कर आत्म-हत्या

कठिन

अधूरे हृदय-सम्बन्धों के उलझे प्रसंग

मार्मिक चोट का दिन-रात

दहला देता सहसा गंभीर आभास

विवेकी हृदय ने आज जला दी है अर्थी

मृत स्वरित संवेदन-तथ्यों की

आज ... 

गंगा में बह रहे हैं फूल उन तथ्यों के

कुछ नहीं है अब

ईश्वर को कहने को

        ------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 834

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 1, 2016 at 12:01am

//अति संवेदनशील प्रस्तुति गहन भावों को शब्द देती //

इस सराहाना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया प्रतीभा जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 11:31pm

// रुकती नहीं गंगा न हमारा वज़ूद जो कि गंगा के सापेक्ष है. लेकिन जो पल-पल बदलता रहता है. इस हर पल बदलते वज़ूद को किस शिद्दत से शाब्दिक किया है आपने, आदरणीय विजय निकोर साहब ! 

वास्तव में एक अनुभव जी गया. सादर धन्यवाद इस भावदशा को साझा करने के लिए.//

आपने इस सराहना से मुझको बहुत ऊँचा उठाया है, निशब्द हूँ कि कैसे आभार प्रकट करूँ, आदरणीय भाई सौरभ जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 11:23pm

// निःशब्द हूँ ऐसी भावपूर्ण रचना में निहित गहन भावों की अभियक्ति को पढ़कर , नमन आपकी लेखनी को //

इतनी आत्मीय सराहाना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई सुशील सरना जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 11:20pm

सराहाना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई गिरिराज जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 11:17pm

इस सराहाना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय त्रिपाठी जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 11:13pm

सराहाना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई श्याम नारायण जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 11:08pm

//आपने तो दुखती रग पर हाथ रख दिया....अतीव सुंदर रचना के लिये तहेदिल से बधाई //

सराहाना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई  केवल प्रसाद जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 11:03pm

//बहुत ही गंभीर बात कह दी है इस बेहतरीन प्रस्तुति में//

इस सराहाना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई  शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by vijay nikore on October 31, 2016 at 10:49pm

//सचमुच कुछ नहीं है इन दैवीय  भावों  के प्रति कहने को . नमंन आदरणीय पितृवत //

ऐसी सराहना के लिए मेरे दिल की गहराई से आपको नमन, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

क्षमाप्रार्थी हूँ कि इस रचना की सभी प्रतिक्रियाएँ आज पहली बार पढ़ रहा हूँ। प्रतिक्रियाओं की notifications अकसर मेरी इ मेल में नहीं आ रहीं। कुछ समय हुआ आदरणीय योगराज जी से इसकी ओर संकेत किया है। आशा है कोई सुझाव मिलेगा।

Comment by pratibha pande on June 23, 2016 at 7:02pm

अति संवेदनशील प्रस्तुति गहन भावों को शब्द देती   हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय ..सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service