For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो धूप [ अतुकांत ]

चलो तलाशें 

तुम्हारे मेरे बीच की 

गुम हो गई धूप

कितनी कुनमुनी खिली खिली 

और बातून थी वो 

बोलती रहती थी 

या कहूँ कि बस 

वो ही बोलती थी 

किसी भी सूरज की 

नहीं  थी मोहताज़  

पसरी पड़ी रहती थी 

हमारे बीच  वो  डीठ   

जिद्दी इतनी कि

हर जगह चलती थी साथ 

कभी आँखों में चढ़कर 

तो कभी गालों पर 

बारिश कोहरे को चीर 

चमकती थी बेख़ौफ़ 

सर्द ठण्ड में गर्म बिछौना

और गर्मी में ठंडी छाँव 

थी वो धूप

उससे पहले कि

चुप्पी की सीलन आदत बन जाये

चलो ढूंढ लाते हैं उसे  

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on June 23, 2016 at 7:45pm
हर जगह चलती थी साथ
कभी आँखों में चढ़कर
तो कभी गालों पर
बारिश कोहरे को चीर
चमकती थी बेख़ौफ़ ------ अद्वितीय पंक्तियाँ है यहाँ ।

धूप की कुनमुनाहट को बेहतरीन शब्दों से बड़ी कोमल चित्रांकन किया है आपने ।


उससे पहले कि
चुप्पी की सीलन आदत बन जाये
चलो ढूंढ लाते हैं उसे -----वाह ! क्या खूबसूरत भाव गढ़े है आपने । शब्द हृदय को छूकर निकल गये है ।
बातूनी की चूप्पी भी बहुत खलती है कभी कभी , इसलिए चुप होना सदा के लिए आदत ना बन जाये उसका ढूंढ लाना जरूरी हैै ।
बहुत बहुत बधाई आपको इस भावपूर्ण रचना के लिए ।
Comment by shree suneel on June 2, 2016 at 9:06pm
इस ख़ूबसूरत कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको आदरणीया प्रतिभा पांडे जी..
Comment by pratibha pande on May 26, 2016 at 6:35pm

आपको कविता अच्छी लगी  हार्दिक  धन्यवाद  प्रिय राहिला जी , शोध की बात भी आपने खूब कही  वाह 

Comment by pratibha pande on May 26, 2016 at 6:28pm

  हार्दिक आभार आदरणीय बशर भारतीय जी 

Comment by pratibha pande on May 26, 2016 at 2:23pm

 रचना पर उपस्थित होकर स्नेहिल हौसला अफजाई के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी ..सादर 

Comment by pratibha pande on May 26, 2016 at 2:19pm

  हार्दिक  आभार  आदरणीय समर कबीर जी ,  सादर 

Comment by Rahila on May 26, 2016 at 11:59am
इस धूप पर चुप्पी और ऊब के बादल क्यूं छा जाते है?ये शोध का विषय है यदि आप को पता चले तो सांझा करियेगा कविताओं के जरिये । बहुत ही खूबसूरत कविता आद. प्रतिभा दी! खूब बधाई ।सादर
Comment by बशर भारतीय on May 26, 2016 at 10:45am
'वो धूप' वाह धूप की चंचलता मन मोह गई अच्छी कविता है आ.प्रतिभा पाँडे जी बधाई आपको
Comment by Sushil Sarna on May 25, 2016 at 3:25pm

उससे पहले कि
चुप्पी की सीलन आदत बन जाये
चलो ढूंढ लाते हैं उसे


वाह आदरणीया प्रतिभा जी गज़ब के अहसासों को संजोए इस हृदयस्पर्शी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Samar kabeer on May 25, 2016 at 2:58pm
मोहतरमा प्रतिभा पांडे जी आदाब,बहुत सुंदर अतुकांत कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service