For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस इतनी सी चाहत(अतुकान्त कविता )

कहीं कुछ टूटता सा महसूस होता है
कहीं कोई डाली चटक सी जाती है
क्यों अस्तित्व खुद ही बिखर रहा है
हर शख्स जीवन से मुकर रहा है
बस एक धारा बनना चाहा
जो समेटे रहती ध्वनि कल-कल
बहती रहती सदा यूँ ही अविरल
सरोकार न होता जिसे सुख से
न दर्द  होता किसी दुःख से
पहचान न होती किसी पाप की  
न चाहत होती किसी पुण्य की
काश,रह पाता वैसे ही निष्छल
फिर सोचा.......
क्यों न नींव का पत्थर हो जाऊँ
धरती माँ कि गोद में
कहीं गहराई में आराम से सो जाऊँ
जहाँ शाश्वत सत्य अँधेरा हो
न रहे इंतज़ार कभी ,कोई  सवेरा हो
अपना लेता उस अनन्त स्थिरता को
पा लेता उस परब्रह्म परसत्ता को
ए काश मैं झोंका हवा का होता
इधर-उधर ,यहाँ से वहाँ
बहता हर बन्धन से परे
हर किसी का प्यारा होता
जीने का कुछ तो सहारा होता
उड़ता असमानों में बादलों के संग
बरसता बूँदों के संग बन के
जीवन की नयी उमंग
छन भर,ठिठक जाता किसी छत की मुंड़ेर पे
बिखर जाता खुश्बू सा किन्ही मुस्कुराहटों संग

मौलिक एवं अप्रकाशित 

©बृजेश कुमार 'ब्रज '

Views: 650

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 7, 2016 at 9:51pm

शत शत नमन एवं धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर  जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 7, 2016 at 12:08am

इस भावपूर्ण प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 4, 2016 at 12:33pm

आपका हार्दिक अभिनन्दन आदरणीया kanta roy  जी 

Comment by kanta roy on March 4, 2016 at 10:09am
बहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना बनी है यह आदरणीय बृजेश जी । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service