For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अन्ना , मेरे भरोसे मत रहना / प्रदीप नील

लगे रहो तुम मेरे प्यारे, पीछे मत हटना अन्ना हज़ारे
सोलह से अनशन ज़रूर करना, अब किसी से ज़रा न डरना
क्योंकि पूरा देश तुम्हारे साथ है
पर ये और बात है,
कि मैं नहीॅं आ पाऊंगा ।
क्योंकि बिजली चोरी करते पकड़ा गया था
ज़ुर्माना भरने अदालत जाऊंगा
मज़बूरी है वर्ना ज़़रूर आता , साथ तुम्हारे नारे लगाता
गली-गली में शोर है, हर एक नेता चोर है ।।

अन्ना, मैं सत्रह को भी नहीं आ पाऊंगा
नया मकान खरीदा है, रजि़स्ट्री कराने जाऊंगा
मैं वहां मौज़ूद रहा तो दो पैसे बचा लूंगा
पचास लाख का मकान लिया है, बीस लाख का दिखा दूंगा
किसी के बाप का क्या जाता है, देश में हर कोई तो खाता है
मज़बूरी है वर्ना ज़़रूर आता , साथ तुम्हारे नारे लगाता
गली-गली में शोर है, हर एक नेता चोर है ।।

अन्ना, अठारह को भी बहुत टेंशन है, क्योंकि हमारे यहां इलेक्षन है
मैंने दोनों उम्मीदवारों को आश्वासन दे रखा है
और दोनों से ही पैसा ले रखा है
ईमानदार हूं इसलिए पोलिंग बूथ जाऊंगा
दोनों के ही चुनाव-चिह्न पर मोहर लगा के आऊंगा
मज़बूरी है वर्ना ज़़रूर आता , साथ तुम्हारे नारे लगाता
गली-गली में शोर है, हर एक नेता चोर है ।।

अन्ना बीस को बी पी एल के कार्ड बनेंगे
चार मोबाइल हैं घर में, पर हम भी लाईन में लगेंगे
इक्कीस को फर्जी डिग्री खरीदने जाना है, बेटे को नौकरी भी लगवाना है
बाइस को नकली घी की फैक्टरी का उद्घाटन कराना है
तेइस को गाड़ी में किचन सिलेंडर फिट करवाना है
कौन कहता है यह सब भ्रष्टाचार है
यह तो अब पूरे देश का व्यवहार है
किसी के बाप का क्या जाता है, देश में हर कोई तो खाता है
और फिर भी यही चिल्लाता है
गली-गली में शोर है, हर एक नेता चोर है .

अन्ना क्या तुम्हे भी याद है
सिरफ छह महीने पहले की बात है
मैं जिस भी गली गुज़रता था, बस एक ही नारा सुनता था-
सौ में से निन्यानवे बेईमान, फिर भी मेरा देश महान
रातों-रात कैसे ये नारे बदल गए
क्या मेरे देश के लोग सारे, सचमुच बदल गए?
तुम्हारी टोपी पहनी ऐसी, हम तो उजले दिखने लगे
और नेता सारे के सारे सफेद बगुले दिखने लगे
अन्ना तूने किया कमाल, भारतवासी हुए निहाल
लगे रहो बस यूं ही प्यारे, पीछे मत हटना अन्ना हज़ारे
सोलह से अनशन ज़रूर करना, अब किसी से ज़रा न डरना
क्योंकि पूरा देश तुम्हारे साथ है
पर ये और बात है,
कि मैं नहीॅं आ पाऊंगा ।

( मौलिक तथा अप्रकाशित )

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on January 2, 2016 at 11:19am

बहुत आभार आदरणीय Dr Ashutosh Mishra  आपने मेरी रचना को पढ़ने तथा सारगर्भित टिप्पणी देने के लिए अपने कीमती समय में से समय निकाला। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 30, 2015 at 10:22am

वाह ..बातों बातों में आप ने सब कुछ ह दिया ..इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service