For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंतरात्मा - लघुकथा

अंतरात्मा - लघुकथा
देवरानी को जलाने के अमानवीय कृत्य की एकमात्र साक्षी वही थी और ससुराल पक्ष के साथ पति भी उस पर सच न बोलने के लिए हर तरह से दबाब दे रहा था।
"देख उर्मि, तेरी एक गवाही आज ससुराल की मान मर्यादा को समाज की नज़रो में गिरा देगी और यदि ऐसा हुआ तो फिर मुझसे बुरा ....।" पति के कहे शब्द उसकी चुप्पी बन रहे थे तो अंतरात्मा उसे बेचैन कर रही थी। "नहीं उर्मि नहीं इस बार तूझे चुप नहीं......।"
"देखिये! आप जो कुछ कहे, सोच समझकर निडर हो कर कहे।" गवाही के लिए खड़ी उर्मिला को कुछ सहमे देख सरकारी वकील ने उसे हौसला दिया।
"जी।" वो कुछ संभली। "घटना के समय मैं घर में ही थी और मैंने ही उसे हस्पताल पहुचाने में मदद की।" कहते हुए उसकी आँखे दर्शक दीर्घा में बैठे पति से जा मिली और उसे अपनी आवाज फिर घुटती नज़र आने लगी।
"क्या ये महज एक दुर्घटना थी या उसे जलाने का प्रयास किया गया।" अगला प्रश्न सामने था।
"जी नहीं, ये दुर्घटना नहीं थी।" उर्मिला दोबारा संभली। "उसे जलाया गया था।"
"क्या आप बता सकती है कि उसे जलाने वाले कौन थे?"
"जी, ये सब...." उर्मिला के अंतर्मन ने उसे सहारा दिया। "......ये सब मेरे सास-ससुर ने किया और मैं इसकी साक्षी हूँ।" बात पूरी कर उसने पति की ओर देखा। पति की प्रश्नवाचक आँखें जलने लगी थी मानो पूछ रही हो। "ये तुमने क्या किया उर्मि?"
"कुछ नहीं?" वो अपने आप से बुदबुदाई। "वर्षो पहले माँ की बारी में बाबा के हाथो को मुँह से नहीं हटा पायी थी, बस आज वो हाथ मैंने हटा दिया।"
'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on January 3, 2016 at 9:25am
सर्वपथम समयाभाव के कारण उपस्थित न होने के लिए सादर क्षमा। रचना पर आये सभी गुणीजनों और दी गयी सकारत्मक प्रतिक्रिया से हौसला अफ़ज़ाई की कोशिश के लिए आप सभी का सादर आभार।
Comment by Nita Kasar on December 29, 2015 at 1:21pm
हौंसले से भरी हिम्म्त की उड़ान है ये डर गई तो मर गई जिस दिन महिलायें निर्भीक होकर निर्णय लेना ठान लेंगीं अत्याचार और अपराध का ख़ात्मा हो जायेगा ।प्रेरक सार्थक कथा के लिये बधाई आद०वीरेंद्र सिंह जी ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2015 at 9:17pm
वाह्ह्ह्ह्।सुंदर चित्रण।बेहद मार्मिक रचना।हार्दिक बधाई आदरणीय।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 28, 2015 at 7:34pm

यदि स्त्रियाँ या कोई भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाये ऐसी हिम्मत करे तो ये दुनिया सुधर जाए ..बहुत बढ़िया प्रेरणास्पद लघु कथा लिखी है आपने हार्दिक बधाई आ० वीर मेहता जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 28, 2015 at 7:33pm

आदरणीय वीरेंदर जी ...बहुत जरूरी है लेकिन सभी में इतना साहस नहीं होता है ..बहुत सुंदर लघु कथा ..इस रचना के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service