For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे घर के पास है, एक खुला मैदान,

चार दिशा में पेड़ हैं, देते छाया दान

करते क्रीड़ा युवा हैं, मनरंजन भरपूर

कर लेते आराम भी, थक हो जाते चूर

सब्जी वाले भी यहाँ, बेंचे सब्जी साज.

गोभी, पालक, मूलियाँ, सस्ती ले लो आज

कभी कभी नेता यहाँ, माइक पे चिल्लाय

सम्मुख बैठे भक्तजन, ताली खूब बजाय

हर आयु के लोग यहाँ, घूमे शुबहो शाम

स्वस्थ रहें संपन्न रहें, तभी मिले आराम

कभी कभी ही संतजन, अपना भजन सुनाय  

जो सज्जन गंभीर हैं, उनको ये सब भाय   

प्रीतिभोज के रश्म में. खाना जम कर खाय  

सोने के भी वक्त में, हल्ला गीत बजाय     

देता सबको ही शरण, यह छोटा मैदान

इसी लिए तो हम सभी, करते हैं गुणगान

यदाकदा स्वभाविक ही, होते हैं तकरार

फिर भी हम सहिष्णु रहें, करते कभी न वार

भारत यह मैदान है, भांति भांति के लोग.

कभी कभी होता घटित, कुछ अनिष्ट दुर्योग!    

.

(मौलिक व अप्रकाशित)

- जवाहर लाल सिंह  

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 26, 2015 at 5:57pm

आदरणीय दिग्विजय जी, रचना को पढ़कर आनंद मिला, जानकार खुशे हुई ..आपका हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 26, 2015 at 5:55pm

आदरणीय नादिर खान साहब, सर्वप्रथम उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हुआ.

Comment by DIGVIJAY on November 26, 2015 at 1:09pm

रचना को पढ़ कर आनंद मिला, बधाई स्वीकारे ।

Comment by नादिर ख़ान on November 26, 2015 at 11:03am

आदरणीय जवाहर लाल जी सुन्दर गीत  के लिए बधाई स्वीकार करें....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
22 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service