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माँ के आँचल सी

सर्दी मैं गर्मी और
गरमी मैं शीतलता
का एहसास
प्यार के ताने बने से बुनी
ममतामयी माँ
के आँचल सी
खादी केवल नाम नही हैं
खादी केवल काम नहीं हैं
खादी परिचायक है
सवाव्लंबन का
स्वाभिमान का
देश के प्रति
आपके अभिमान का
रंग उमंग और
प्यार के धागे से बुनी
देश ही नहीं
विदेश मैं भी पाए विस्तार
खादी को बनाइये
अपना जूनून
खादी दे
तन मन को सुकून

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Comment by rajni chhabra on June 16, 2010 at 8:58am
aap sab sudhi pathakon ka bahut bahut dhanyvad
Comment by Admin on June 16, 2010 at 8:20am
बिलकुल सत्य लिखा है रजनी बहन, खादी केवल कपड़ा नहीं ये तो बगावत के बिगुल की आवाज था, जनांदोलन का जरिया था, अपने आप को पहचानने का माध्यम,बहुत खूब लिखा है आपने , एक बार पुन: एक ससक्त अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकार करे,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 15, 2010 at 7:02pm
खादी जोकि हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय अस्मिता की परिचायक बनी थी, उसको विषय बनाकर बहुत ही सार्थक सन्देश दिया है आपने अपनी कविता के माध्यम से ! मैं साधुवाद देता हूँ इस सुंदर काव्य प्रस्तुति के लिए !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 14, 2010 at 10:09pm
Rajani ma'm apane bilkul sahi likha hai.......agar bharat ka har adami keval ek kapada khadi ka pahanane lage to bahut had tak berozgari ki samasya ka samadhan ho sakata hai......... aur vaise bhi kaha jata hai........"khadi vastra bahi vichar hai".
Comment by Kanchan Pandey on June 14, 2010 at 8:47pm
racni di aap ki kavita ka koi jod nahi, behtarin rachna , bahut umdda likha hai aapney, thanks,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 14, 2010 at 7:34pm
वाह रजनी दीदी वाह , बहुत सुंदर लिखा है आपने , बहुत ही सारगर्भित कविता है, आपकी कविता पूरी तरह से महात्मा गाँधी की सोच को बताती है क़ि क्या सोचते थे और क्या पर्योजन था खादी के पीछे, कमाल की रचना है रजनी दीदी, बधाई स्वीकार करे ,
Comment by satish mapatpuri on June 14, 2010 at 5:20pm
खादी केवल नाम नही हैं
खादी केवल काम नहीं हैं
खादी परिचायक है
सवाव्लंबन का
स्वाभिमान का
बहुत गहरी बात की तरफ संकेत किया है आपने. खादी की गरिमा दावं पर लग चुकी है.

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