For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौका परस्त – ( लघुकथा ) -

"दद्दा, आपने यह जो सम्मान पत्र स्वर्णिम फ़्रेम में लगवा रखा है, इसकी वापसी की बोली तीन लाख सत्तर हज़ार तक पहुंच गयी है!अब और क्या चाहिये!कमा लो, बढिया मौका है!कुछ बच्चों के काम आयेगा!वैसे भी अब आप तो साल दो साल के मेहमान हो!फ़िर तो यह भी रद्दी हो जायेगा"!

"बक़वास बंद करो, नहीं तो दैंगे दो जूते खींच के"!

"जूते भले ही दो की ज़गह चार मार लो, पर यह बहती गंगा में हाथ धोने का अवसर मत छोडो"!

"हम शेर हैं, हम भेड बकरी नहीं जो इस भेड चाल में शामिल हो जांय"!

"दद्दा यह कोई अकलमंदी नहीं है, समय के साथ चलना चाहिये"!

"तुम अब्बल दर्जे के बेवकूफ़ हो, हम तुमसे ज्यादा तज़ुर्बेकार हैं, हमारे पास इससे भी तगडा ऑफ़र आया है”!

“जल्दी बताइये दद्दा,किसकी तरफ़ से और क्या ऑफ़र आया है”!

“यह आफ़र एक मीडिया चैनल वालों की तरफ़ से आया है”!

“दद्दा, ऑफ़र क्या है ,यह भी तो बतलाइये" !

“ उनका ऑफ़र है, कि यदि हम अपना सम्मान पत्र नहीं लौटायेंगे तो वे हमें पांच लाख दैंगे”!

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on November 12, 2015 at 11:04am

हार्दिक आभार जवाहर लाल जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 11, 2015 at 7:56pm
वाह वाह! बहुत हे सुन्दर कटाक्ष!
Comment by TEJ VEER SINGH on November 11, 2015 at 5:55pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय  जी!

Comment by vijay nikore on November 11, 2015 at 12:40pm

बहुत ही अच्छा कटाक्ष । हार्दिक बधाई।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 10, 2015 at 10:44pm

हार्दिक आभार सुनील वर्मा जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on November 10, 2015 at 10:43pm

हार्दिक आभार मिथिलेश जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 10, 2015 at 1:37pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 10, 2015 at 11:12am

हार्दिक आभार आदरणीय नादिर खान साहब!आपकी टिप्पणी सत्य के बेहद करीब है!मैं भी इसे पूर्ण रूप से स्वीकार करता हूं और इसका सम्मान भी करता हूं, क्योंकि यह लघुकथा कहीं भी नहीं दर्शाती कि यह साहित्यकारों के लिये लिखी गयी है!साथ ही मुझे केवल इतना ही आपको स्मर्ण कराना है कि सम्मान पत्र साहित्यकारों के अलावा भी अन्य क्षेत्रों में भी दिये जाते हैं!यह भी एक हक़ीक़त है कि कुछ क्षेत्रों में तो सम्मान पत्र खरीदे भी जाते हैं!कुछ सम्मान पत्र काबिलियत से ज़्यादा आदमी की सत्ता के प्रति  स्वामिभक्ति पर भी मिलते हैं!सादर!

Comment by नादिर ख़ान on November 9, 2015 at 10:50pm

आदरणीय तेज वीर जी वर्तमान परिपेक्ष मे अच्छी रचना कही आपने रचना के लिए बधाई

(व्यक्तिगतरुप से मुझे नहीं लगता की कोई साहित्यकार इतना गिर सकता है की अवार्ड को बेचे । रचनाकार हमेशा दिल से लिखता  है और दिल की सुनता है । दिमाग का खेल तो राजनीतिज्ञ करते है ) 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 9, 2015 at 7:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!मेरे  बनारस के एक मित्र द्वारा दी गयी  जानकारी पर यह लघुकथा लिख डाली!बोली में भी प्रयास किया है कि वैसा ही पुट आये!सफ़ल कितना हुआ, यह तो गुणीजनों के विचारों से पता चलेगा!आपका पुनः आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
37 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
44 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
47 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
47 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service