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सैयां भये कोतवाल - (लघुकथा) -

 सैयां भये कोतवाल -(लघुकथा) -

बाल श्रम विरोध कानून सप्ताह के दौरान छापेमारी में पंद्रह बालकों को रिहा कराया गया!इनमें अधिकतर बच्चे अपने परिवार से भाग कर आये थे!कुछ अनाथ भी थे!जो अनाथ थे ,उनको तो अनाथालय वालों ने आश्रय दे दिया मगर जिनके मॉ बाप थे ,परिवार थे ,उनको लेने से अनाथालय वालों ने मना कर दिया!

अब सात बच्चे पुलिस की देख रेख में थे!उनके परिवारों को सूचना भिजवा दी थी!कुछ तो आसाम और नेपाल तक से भाग कर आये थे!अभी तो यह भी निश्चित नहीं था कि जो पते बच्चों ने दिये वह सत्य भी हैं कि नहीं!परंतु विश्वास और इंतज़ार के अलावा कोई रास्ता ही नहीं था!

त्यौहार अलग सिर पर आगया था!

इसी बीच एस.पी. साब और डी. एस .पी. साब के बंगले की सफ़ाई और पुताई का इंतज़ाम करने के भी आदेश आ गये!इतनी मारामारी तो कभी नहीं हुयी!इतनी भागा दौडी की पर कोई मज़दूर नहीं मिला!

तभी दीवान जी ने सुझॉव दे डाला,"साब ,मैं क्या सोचता हूं कि रंग रोगन बाज़ार से खरीद लाता हूं, एक सिपाही के साथ इन छोकरों को भेज देता हूं, साहब लोगों के बंगलों की सफ़ाई पुताई के लिये"!

दरोगा जी के चेहरे पर चमक आ गयी!उन्होंने मुस्कुराकर शाबासी भरी नज़रों से दीवान जी को देखा!

दीवान जी ने भी उसी अंदाज़ में मुस्कुराहट फ़ैंक कर बाल श्रमिक कानून की धज़्ज़ियां  उडा दी!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 6, 2015 at 10:02pm
बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on November 6, 2015 at 8:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 8:25pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 6, 2015 at 7:31pm

हार्दिक आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल जी!

Comment by मोहन बेगोवाल on November 6, 2015 at 7:23pm

 आदरणीय तेजवीर जी, बहुत ही सुंदर लघुकथा पेश करने कि लिए बधाई हो 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 6, 2015 at 5:12pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुनील जी!

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