For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरकार पर व्यंग्य बाण " अज्ञात "

काश कि सरकार,                           

अपने चक्षुओं से देख पाती,                  
यदि वोट की खातिर वो,                             

दोनों हाथ से धन न लुटाती।                  

तो देश की सारी व्यवस्था,                       

इस तरह न चरमराती।                                

काश कि सरकार,                           

अपने चक्षुओं से देख पाती।                                            
छोड़ निंदा रस कहीं,                          

गर ध्यान देती दाल पर,                        

बात सच है,                                                        

तो नहीं , दाल दो सौ पार जाती।                 

काश कि सरकार,                           

अपने चक्षुओं से देख पाती,                        
देश की जनता भला,                             

खाये क्या, और क्या पिये,                      

बढ़ती हुई मँहगाई में,                                  

होती दुखी न तिलमिलाती।                    

काश कि सरकार,                           

अपने चक्षुओं से देख पाती।
अजय शर्मा  " अज्ञात  "।                       

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 1, 2015 at 10:50am
बहुत सुंदर कटाक्ष समसामयिक हालात पर , जागरूक करते हुए।बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी इस सार्थक सटीक रचना के लिए।
Comment by Ajay Kumar Sharma on November 1, 2015 at 10:36am

आदरणीय राहिला जी, सतविंदर जी आप सभी का धन्यवाद। हमारे प्रयास पर आपकी टिप्पणियों से स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। आभार।।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 1, 2015 at 6:50am

sunder prstuti

Comment by Ajay Kumar Sharma on October 29, 2015 at 6:17pm

परम आदरणीय आप सभी विद्वानों का हृदय से धन्यवाद।।

Comment by maharshi tripathi on October 29, 2015 at 5:27pm

आ. Ajay Kumar Sharma जी अगर आपकी रचना सरकार के पास पहुच जाये तो निश्चित ही सरकार ध्यान देगी ,,,,इस रचना हेतु आपको बधाई |

Comment by Rahila on October 29, 2015 at 4:50pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय अजय कुमार जी! बहुत बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 29, 2015 at 3:04pm

आदरणीय अजय शर्मा जी वर्तमान परिदृश्य में एक सार्थक रचना हुई है इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service