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त्रिपदिक मुक्तिका (अनुगीत) : सत-शिव-सुन्दर सृजन कर ---संजीव 'सलिल'

त्रिपदिक मुक्तिका (अनुगीत) :

सत-शिव-सुन्दर सृजन कर

संजीव 'सलिल'

*
*

सत-शिव-सुन्दर सृजन कर,

नयन मूँद कर भजन कर-

आज न कल, मन जनम भर.



कौन यहाँ अक्षर-अजर?

कौन कभी होता अमर?

कोई नहीं, तो क्यों समर?


किन्तु परन्तु अगर-मगर,

लेकिन यदि- संकल्प कर

भुला चला चल डगर पर.


तुझ पर किसका क्या असर?

तेरी किस पर क्यों नज़र?

अलग-अलग जब रहगुज़र.


किसकी नहीं यहाँ गुजर?

कौन न कर पाता बसर?

वह! लेता सबकी खबर.


अपनी-अपनी है डगर.

एक न दूजे सा बशर.

छोड़ न कोशिश में कसर.


बात न करना तू लचर.

पाना है मंजिल अगर.

आस न तजना उम्र भर.


प्रति पल बन-मिटती लहर.

ज्यों का त्यों रहता गव्हर.

देख कि किसका क्या असर?


कहे सुने बिन हो सहर.

तनिक न टलता है प्रहर.

फ़िक्र न कर खुद हो कहर.


शब्दाक्षर का रच शहर.

बहे भाव की नित नहर.

ग़ज़ल न कहना बिन बहर.


'सलिल' समय की सुन बजर.

साथ अमन के है ग़दर.

तनिक न हो विचलित शजर.


***********************************************

दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम /सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम

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Comment

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 14, 2010 at 11:08pm
//शब्दाक्षर का रच शहर.
बहे भाव की नित नहर.
ग़ज़ल न कहना बिन बहर.//

इतनी बड़ी बात कह दी आपने कि नि:शब्द हो गया हूँ आचार्य जी! बस अपना आशीर्वाद बनाये रखें !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 14, 2010 at 10:04pm
acharya ji ke charnon main sadar pranam

Bahut sundar!!! hindi avam urdu ke shabdon ka sundar samayojan. acharya ji yadi yah spasht kar saken ki anugeet avam navgeet main kya fark hota hai to apka bahut abhari rahunga.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 14, 2010 at 9:12pm
अपनी-अपनी है डगर.
एक न दूजे सा बशर.
छोड़ न कोशिश में कसर.
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति और गहन अर्थ से भरी रचना, बहुत बहुत आभार आचार्य जी,
Comment by Kanchan Pandey on June 14, 2010 at 8:51pm
ees tarah ki rachna dekhna ek sukhad anubhav hai, OBO par ek aur vidawan kavi ka charan Vandan,
Comment by Admin on June 14, 2010 at 3:41pm
बात न करना तू लचर.
पाना है मंजिल अगर.
आस न तजना उम्र भर,

आचार्य जी बहुत ही शिक्षाप्रद है यह आपका त्रिपदिक मुक्तिका , इतना सुंदर प्रवाह है की शब्द नहीं है तारीफ के कुछ पदो पर तो अमल किया जाय तो जीवन मे कभी दुःख ही न हो, बहुत बहुत आभार है आपका,

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