For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू ग़ज़ल लिखे चाहे जो बह्र, अशआर में वो ज़ुरूर है।।(ग़ज़ल इस्लाह के लिये)

कोई हर्फ़ लब पे न हो भले, इज़हार में वो ज़ुरूर है।
तू ग़ज़ल लिखे चाहे जो बह्र, अशआर में वो ज़ुरूर है।।

ये भी खूब है हाँ खूब है, मुरझा रहे हो तुम यहाँ।
जिस हुश्ने उपवन की तलब, हाँ बहार में वो ज़ुरूर है।।

जो कभी गले से मिला नहीं, सर वो ही शानों पे ढूँढता।
तू गज़ब सितम खुद पर करे, तेरी हार में वो ज़ुरूर है।।

यहाँ रात का पल जल रहा, वहाँ ख़्वाब नैनों में पल रहा।
जो पिघल रहा तेरी आँखों से, मिला प्यार में वो ज़ुरूर है।।

ये खुली पलक दहलीज़ पर, यूँ ही बैठ राहें निहारना।
यूँ ही जागना बिल्कुल ग़लत, मनुहार में वो ज़ुरूर है।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 870

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 10, 2015 at 12:42am

सीधी बात : क्या आपने ओबीओ के पाठकों को अपना पीए समझ लिया है जो ऐसे किसी पोस्ट पर कोमेंट कर आपको सूचित करें ?

आप इस मंच पर उपलब्ध ग़ज़ल सम्बन्धित सभी आलेख पढ़ जाइये और फिर रचनाकर्म के प्रति उत्सुक होइये, भाईसाहब

शुभेच्छाएँ

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 10, 2015 at 12:10am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर मैं मिसरों के बह्र का चयन नहीं करता; बस सीधे जो ख्याल आते जाते हैं उन्हें सीधे मोबाइल पर टाइप करता हूँ; कागज पर नहीं लिखता; एक बार पढता हूँ और पोस्ट कर देता हूँ।।
जब कोई सुझाव आता है तो उसे संशोधित कर लेता हूँ।।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2015 at 11:55pm

मिसरों के बहर का चयन कैसे करते हैं पंकज वात्स्यायनजी ?

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 9, 2015 at 9:38pm
आदरणीय मिथिलेश सर और धर्मेन्द्र सिंह सर आप दोनों लोगों को यथोचित अभिवादन
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 9, 2015 at 5:47pm

बढ़िया प्रस्तुति के लिए दाद कुबुल करें आदरणीय पंकज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 9, 2015 at 5:17pm

आदरणीय पंकज जी बढ़िया प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service