For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब तक लोभ नहीं त्यागोगे भारत नहीं सुधरने वाला

2 2 22 12122 2212 12222
कुछ भी नारा भले लगा लो, कुछ भी नहीं बदलनें वाला।
जब तक हम खुद ना सुधरेंगे, भारत नहीं सुधरनें वाला।।

मन तो स्वार्थ राग में डूबा, तन को बस आराम सुहाये।
जन जन जब तक नहीं जगेगा, भारत नहीं उबरनें वाला।।

हिन्दू मुस्लिम चिल्लाओ सब, राम रहीम भले गाओ सब।
जब तक लोभ नहीं त्यागोगे, भारत नहीं निखरनें वाला।।

जब तक हिंसा नफरत का, कारोबार प्रगति पर है।
तब तक किसी हाल में अपना, भारत नहीं सम्भलनें वाला।।

सरकारें सब ठीक करेंगी; बेमतलब की बातें हैं।
जब तक खुद सब ठीक न होंगे, भारत नहीं संवरनें वाला।।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 460

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2015 at 11:08pm

नकारात्मक पहलू यदि व्यंग्य में न हो तो किसी तौर पर समाज को जगाने का काम नहीं करते. बल्कि और हताश ही करते हैं. 

ऐसी किसी सोच से यदि आप प्रभावित हैं तो उचित होगा आप बचिये.

शुभेच्छाएँ

 

Comment by kanta roy on September 3, 2015 at 10:56pm

हिन्दू मुस्लिम चिल्लाओ सब, राम रहीम भले गाओ सब।
जब तक लोभ नहीं त्यागोगे, भारत नहीं निखरनें वाला।।.....वाह ! बहुत खूब कही है आपने ये शेर भी , लाजवाब ! लोभ की तो बात ही भली कहा आपने आदरणीय मिथिलेश जी ,जाने ये क्या बला होती है कि पेट ही नहीं भरता है इस लोभ का ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 3, 2015 at 5:41pm
आदरणीय मिथिलेश सर आपके आशीर्वचन की हमेशा प्रतीक्षा रहती है।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 3, 2015 at 5:40pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, आपका सुझाव बढ़िया है लेकिन ये शीर्षक लोगों को जगाने की नीयत से चुना गया है; ये दिल पर चिट करने के उद्देश्य से चुना गया है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 3, 2015 at 5:36pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई आदरणीय पंकज जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 2, 2015 at 11:36pm

ऐसी सकारात्मक रचना का शीर्षक निहायत नकारात्मक है, भाईजी. आपकी कोशिशों को सलाम.. 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 2, 2015 at 11:56am
सुझाव के लिए हृदय से आभार, रचना की तारीफ ले लिए शुक्रिया आदरणीय गिरिराज भंडारी सर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2015 at 11:35am

आदरणीय पंकज भाई , लाजवाब बातें कहीं है आपने ! हार्दिक बधाई आपको । काफिये मे अनुस्वार बिन्दु लगाने की ज़रूरत नही है , हटा लीजियेगा ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 2, 2015 at 11:25am
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर अभिवादन।
Comment by Ravi Shukla on September 2, 2015 at 10:57am
आदरणीय पंकज जी बधाई प्रस्तुति के लिए
आपकी बात से हम पूरी तरह सहमत है की सरकारों से उम्मीद करने की जगह खुद से ही शुरुआत करनी चाहिए । उपदेश देने से अच्छा है उदहारण दिया जाये । सकारातमक और आशा प्रद सोच से समापन आशान्वित करता है । पुनः बधाई । एक बात और
काफिये में अं का इस्तेमाल टंकण त्रुटि है या सोद्देश्य है कृपया स्पष्ट करे तो आसानी हो सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
4 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
4 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
5 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service