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जरुरी नहीं ( कविता )

जरुरी नहीं कि हम दोषी हों
मिल जाती है सजा
अक्सर निरपराध को भी
हो जाती हैं दुर्घटनाएं
बिना हमारी गलती के भी
जरुरी नहीं कि लोग
हमसे खुश ही हों
बिना वज़ह भी हो जाती हैं
गलतफहमियां
और बिगड़ जाते हैं रिश्ते
जरुरी नहीं कि जो हम सोचें
वो सही ही हो
क्यूंकि हर चीज़ का
होता है एक दूसरा भी पहलू
जो नहीं देख पाते हम
जरुरी नहीं कि हम जन्म लें
एक ऐसे वातावरण में
जो हो जीने के लिए आदर्श
पर ये बहुत जरुरी है कि
बनायें हम अपने आस पास
ऐसा वातावरण जो हो
औरों के जीने के लिए आदर्श
हाँ , ये जरुरी है
ये बहुत जरुरी है !!
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment

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Comment by विनय कुमार on July 23, 2015 at 12:43pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी , सादर धन्यवाद आपका .

Comment by shree suneel on July 22, 2015 at 10:06pm
व्वाहह! बहुत ख़ूब! बहुत ख़ूब! इस अच्छी कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको आदरणीय विनय कुमार सिंह जी.
Comment by विनय कुमार on July 17, 2015 at 11:13am

बहुत बहुत आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी..

Comment by TEJ VEER SINGH on July 17, 2015 at 10:17am

आदरणीय विनय कुमार जी,वाकई यह बहुत ज़रूरी है कि हम एक आदर्श वातावरण दूसरों के लिए तैयार करें!बेहतरीन संदेश परक कविता के लिए हार्दिक बधाई! 

Comment by विनय कुमार on July 17, 2015 at 1:26am

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , आपकी सराहना मनोबल बढाती है ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 11:54pm

आदरणीय विनय जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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