For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महंगी मुस्कान (लघुकथा )

महंगी मुस्कान ( लघुकथा )




" मुस्कान का व्यापारी हूँ । मुस्कान ही बेचता हूँ । कई प्रकार की मुस्कान है मेरे पास । "

" ये क्या बात हुई भला ..!!! मुस्कान का भी कोई व्यापार होता है ! "

" होता है बाबू , आजकल मुस्कान भी बिकती है । .... मुस्कान बडी ही महंगी चीज़ होती है । "

" अच्छा !! दिखाओ तो भला ... कितने प्रकार की मुस्कान है तुम्हारे पास ..??? "

" पहले जेब से पैसा निकालो , तुम्हारा जेब ही तय करेगा कि तुम पर कौन सा मुस्कान सुट करेगा । "

पढा लिखा बेरोजगार भला क्या जेब में हाथ डालता .... दिहाड़ी करने लायक भी ना रहा था अब वो ।

महंगे मुस्कान पर फीकी सी मायूस नजर डाल वह आगे बढ़ गया ।



कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 16, 2015 at 9:13pm

सपनों के सौदाग़रों का सारा खेल यहीं से प्रारम्भ होता है, आदरणीया कान्ताजी. जिसकी जितनी औकात होगी आजके विकास से उतनी मुस्कान खरीद लेगा. इस बिम्बात्मक रचना केलिए हार्दिक बधाई.

बहुत खूब !

Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:07pm
हृदय तल से आभार आपको लघुकथा पर मेरा हौसला बढाने के लिये आदरणीय गिरीराज भंडारी जी ।
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:06pm
आभार आपको आदरणीय जवाहर लाल जी कथा पसंदगी के लिए ।
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:05pm
वैश्वीकरण के दौर में मुस्कान की कीमत होती है । पैसा ही तय करता है मुस्कानों का आकलन उसके फीके और गहरे होने का । लघुकथा पर आपकी सराहना मेरा हौसला बढा गई आदरणीय मोहन सेठी ' इंतजार ' जी । आभार
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:02pm
आपको यह फीकी मुस्कान भा गई आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , मेरा लिखना सार्थक हुआ । आभार
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:01pm
आदरणीया परी एम श्लोक जी , आपका कथा को पसंद करना अच्छा लगा । आभार
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:00pm
कथा पसंदगी के लिए आभार आपको आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 7, 2015 at 11:23am

बहुत सुन्दर , तंजिया कघुकथा कही !  हार्दिक बधाई ।  आदरणीया कांता जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 6, 2015 at 8:39pm

बहुत ही सुन्दर कटाक्ष !

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 6, 2015 at 7:02pm

आदरणीय कान्ता राॅय जी सही है पैसा ही तो है .....सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
15 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service