For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आस का सुर्योदय (लघुकथा ) कान्ता राॅय

आस का सुर्योदय ( लघुकथा )


सर पर लकड़ी का गठ्ठर , पसीने से तर- बतर वो घर की ओर चली आ रही थी । माई का डर मन ही मन सता रहा था उसे । कल रात ही माई ने बोल दिया था कि ,

"चुल्हा चौका और घर का काम करके अगर समय मिले तो ही पढना छोरी ! "
माई भी क्या करें .. खेत पर बापू के संग काम पर जाना जो होता है !

आज सुबह सीतो अखबार लेकर आ गई थी ।

" देख तु जिले में प्रथम स्थान पर आई है ! " -- सीतो ने जैसे ही कहा , सुनते ही उसके खुशी से पैर , बदन सब काँप उठे थे ।

माई ने सीतो के हाथ से अखबार फेंक दिया तो वो जैसे सहम सी गई ।सीतो मुंह लटकाये उल्टे कदमों से वापस चली गई ।
और माँ ने भन्नाते हुए उसे डाँट कर कुआँ से पानी लाने भेज दिया । निराशा से भरी वह कुएँ की तरफ बढ़ चली ।

" माई , देख तो ...शाम हुई अब तक गाय नहीं आई चर कर ...! " खूंटे पर गाय बंधी ना देख वो पूछ बैठी ।

" अब खूंटे पर गाय नहीं , तेरे हाथों में लैपटॉप होगा छोरी । " बापू गर्व से छाती चौडी के साथ लैपटॉप लेकर देहरी से अंदर आते हुए बोल उठे । आस का सुर्योदय हो चुका था ।



कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 14, 2015 at 8:34am

 अब खूंटे पर गाय नहीं , तेरे हाथों में लैपटॉप होगा छोरी । " बापू गर्व से छाती चौडी के साथ लैपटॉप लेकर देहरी से अंदर आते हुए बोल उठे । आस का सुर्योदय हो चुका था ।

सच है , बधाई 

Comment by Omprakash Kshatriya on July 14, 2015 at 7:55am

आदरणीय  kanta roy  जी , ग्रामीण परिवेश के बदलते माहौल पर सकारात्मक रूप से लिखी आप की लघुकथा बहुत प्रभावी बनी है .

Comment by kanta roy on July 14, 2015 at 7:44am
अच्छा लगा जानकर कि आपको कथा अच्छी लगी आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी । मेरा लिखने का हौसला जरा और बढ़ गया । नमन आपको

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 13, 2015 at 11:44pm

’कुछ अच्छा हो’ के लिए तरसते आजके बहुसंख्यक मन को यह लघुकथा झींसी-झींसी फुहार से मानो तर कर गयी. सकारात्मक अंत के कारण जहाँ बापू पर गर्व हुआ वहीं सीतो की माँ केलिए दुख, कि, उस बेचारी की गलती ही क्या थी ?
एक अच्छी लघुकथा केलिए हार्दिक बधाई आदरणीया

Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:09pm
आपको कथा को पसंद करना मेरे लिये विशेष उपलब्धि हुई आदरणीय श्री सुनील जी । आभार आपको तहे दिल से ।
Comment by shree suneel on July 7, 2015 at 7:00pm
व्वाहह!! आदरणीया कांता राॅय जी, सार्थक लघु-कथा. उसमें (छोरी) में शिक्षा के प्रति लगन और पिता का सहयोग अनुकरणीय है. संदेश देती इस लघु-कथा के लिए बधाईयां आपको.
Comment by kanta roy on July 7, 2015 at 9:55am
रचना अपने सार्थकता को तभी प्राप्त करती है जब आप सब वरिष्ठजन अपनी प्रतिक्रिया देकर उसके कमियों और पूर्णता का सही आकलन करते है । आदर सहित आभार आपको श्री डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।
Comment by kanta roy on July 7, 2015 at 9:50am
आभार आपको आदरणीय जवाहर जी हौसला वर्धन के लिए ।
Comment by kanta roy on July 7, 2015 at 9:49am
बहुत आभार आपको आदरणीय कृष्णा मिश्रा ' जान ' गोरखपूरी जी कथा पसंदगी के लिए
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 7, 2015 at 9:38am

आदरणीया मुझे लगाठा कि शायद्कथा निगेटिव होगी पर आखिर में एकदम परिवर्तन हुआ . सकारात्मक , बहुत् बढ़िया , वाह  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service