For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" हेलो , पापा , आप समय से अपनी दवा खा लेना "| बेटी के शब्द सुनकर उन्होंने सुकून की सांस ली | अभी कल ही उसने फोन नहीं किया तो एकदम परेशान हो गए और वापस आते ही पूरा लेक्चर दे डाला |
आज भी हड़बड़ी में वो भूल ही गयी थी पर एक बुज़ुर्ग को सामने देखते ही याद आ गया | पता तो उसको भी है और पापा को भी है , फोन तो सिर्फ बहाना है ये बताने के लिए कि आज भी वो सकुशल पहुँच गयी है |
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 27, 2015 at 8:52pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , आपकी टिप्पणी से बहुत बल मिलता है..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 27, 2015 at 8:37pm

आज विद्रूप हो चले समाज के अपने व्यवहार हैं. इस विन्दु को आपकी लघुकथा ने स्थान दिया है. इसमें आप सफल भी रहे हैं, आदरणीय. हार्दिक बधाई

Comment by विनय कुमार on May 20, 2015 at 12:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी..

Comment by विनय कुमार on May 20, 2015 at 12:55pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी , इतना विस्तृत विश्लेषण करने का | रोज रोज फोन करके ये बताना कि मैं सकुशल पहुँच गयी शायद हो नहीं पाता और इस तरह के तरीके भी अपना लेते हैं लोग | एक बार फिर से आभार..

Comment by vijay nikore on May 20, 2015 at 4:10am

 सरल और सुन्दर। बधाई, विनय जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 19, 2015 at 10:53pm

सही है... जब तक अपनों का गंतव्य तक सकुशल पहुंच जाने का फोन नहीं आ जाता ..मन बेचैन ही रहता है , बात यदि बेटियों , बहुओं, बहनों की हो तो अपने सुकून में तभी आते हैं जब ठीक से पहुँच जाने सूचना मिल जाए.... लेकिन इसमें बहाना बना कर कुशलता सन्देश देना समझ नहीं आया , ये तो पिता द्वारा हर पुत्री से सीधे शब्दों में ही अपेक्षित होता है, और पुत्री भी जिम्मेदारी समझ बिना बहाना बनाए साफ़ साफ़ सन्देश दे सकती है..

कथ्य सामयिक है.... सशक्त है... इसके लिए बहुत बहुत बधाई आ० विनय कुमार सिंह जी 

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 9:38pm

बिलकुल ठीक कहा आपने , बहुत बहुत आभार आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी..

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 9:37pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी..

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 6:37pm

आदरणीय विनय जी, 

अगर बुजुर्गों को देख कर पिता की याद आ जाती है, तो फ़िर महिलाओं को देख कर अपने घर की महिलाओं की याद आ जाये तो ना जाने कितने बुजुर्गों को डर की गोलॊ और कुशलता के फ़ोन की आवश्यकता नहीं रहेगी.

सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2015 at 4:12pm

फोन तो सिर्फ बहाना है ये बताने के लिए कि आज भी वो सकुशल पहुँच गयी है |--- यह पञ्च लाईन सन्देश तो अवश्य देती है , आपको बधायी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service