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" ये देखिये , सोनू का परीक्षा परिणाम ।बहुत ही निराशाजनक है ।"
" मैडम क्या आप 'ट्यूशन' लेती हैं ?"
" ट्यूशन का बच्चे के प्रदर्शन से क्या सम्बन्ध ? "
" है क्यों नहीं । पुराने विद्यालय में सोनू सदा अव्वल आता था क्योंकि वहीं के मास्टर जी से 'ट्यूशन' लेता था ।"
" ओह्ह्ह ! यानि बच्चे की बुनियाद में ही दीमक लगी है।"
=======================
मौलिक व अप्रकाशित ।

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Comment by shashi bansal goyal on May 7, 2015 at 1:06pm
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 7, 2015 at 9:58am

आदरणीया शशि जी ,  सही विषय उठाया है आपने , अच्छी लगी आपकी लघुकथा ! हार्दिक बधाई आपको ॥

Comment by shashi bansal goyal on May 7, 2015 at 9:46am
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद मेरी रचना की सराहना कर प्रोत्साहित करने हेतु आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 7, 2015 at 12:38am
आदरणीया शशि जी सटीक और सफल लघुकथा।
पंच लाइन का झटका ज़ोरदार।
सफल सफल सफल।
दिल से बधाई इस बेहतरीन लघुकथा हेतु।
Comment by shashi bansal goyal on May 6, 2015 at 11:08pm
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ.विजय शंकर जी ।प्रोत्साहन हेतु सादर धन्यवाद ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 6, 2015 at 10:23pm
बहुत सही लघु - कथा , सही प्रस्तुति, बधाई, आदरणीय सुश्री शशि बंसल जी, सादर।
Comment by shashi bansal goyal on May 6, 2015 at 9:55pm
हार्दिक आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी ।सही कहा आपने यदि आज कुछ कथित शिक्षकों ने शिक्षा को व्यापार बनाया हुआ है तो कहीं अभिभावक भी झूठी शान की खातिर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं । आपने मेरी रचना को समय देकर प्रतिक्रिया दी उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 6, 2015 at 9:01pm

बहुत खूब , आदरणीया शशि जी.  सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और पढ़ाने वालो के साथ-साथ ,छात्रों का अभाव और निजी स्कूलों में लूट के बाद ,अलग से ट्यूशन. कोरे कागज़ सा बच्चा करे भी तो क्या..? बहुत बढ़िया पंच ली हुई लघुकथा. हार्दिक बधाई स्वीकारें. आपका ओ.बी.ओ. पर स्वागत है .लिखते रहिएगा    सादर! 

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