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नैतिक बुनियाद (लघुकथा)

"अरे! कमलजी आप यहां 'जाॅब' कर रहे है, सरकारी 'रिटायरमेन्ट' के बाद फिर से।" अरूणजी एक निजी कम्पनी में कमलजी से मिलने पर कुछ हैरत से बोले।
"हाँ भाई। अभी कुछ जिम्मेदारियाँ शेष रह गयी है, पूरी तो करनी ही पड़ेगी ना। कमल जी धीरे से हॅसकर बोले।
"अब कमल बाबु इसमें मे भी दोष आपका ही है, यदि आप हमारे कहे से चले होते है तो आर्थिक बुनियाद का खोखलापन आपको छूता भी नही।" अरूण जी अर्थपूर्ण मुस्कराहट से बोले।
"मेरा ये खोखलापन तो देर सवेर भर ही जायेगा अरूण भाई.....।"
"लेकिन आप जैसे लोगो के विचार न जाने कितनो की नैतिक बुनियाद को खोखला कर चुके है, उनका क्या होगा?"
कमल बाबु गम्भीर हो चुके थे।

'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:45pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी कथा पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार .... "आपने कहा रचना में और गहराई होनी चाहिए,  संभव है कि कही 'कंसंट्रेशन' की कमी से कथा में पूरण प्रभाव न आ पाया हो"   कोशिश करूँगा आप की आशाओं पर भविष्य में पूरा उत्तर सकू!... सादर प्रणाम ....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:39pm

आदरणीय शशि बंसल जी कथा पर आपके अमूल्य कमेंट्स के लिए दिल से आभार ...

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:38pm

बही जीतेंदर पस्त्तारिया जी कथा पर आपके स्नेह्हिल शब्दों के लिए हार्धिक आभार ..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:36pm

आदरणीय ज्योतसना कपिल जी कथा पर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से आभार ....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:34pm

आदरणीय मितिलेश भाई कथा पर सुन्दर प्रतिक्रिया से हौसल्ला अफजाई के लिए हार्धिक आभार....

Comment by shashi bansal goyal on May 8, 2015 at 6:57pm
आदरणीय वीर मेहता जी बहुत सार्थक लघु कथा हुई है बधाई आपको ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 7, 2015 at 10:17pm

इस कहन को समेटती लघुकथाओं में जो गहराई होनी चाहिये वह इस कथा में और होनी चाहिये. लेकिन प्रभावी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ.

शुभेच्छाएँ आदरणीय

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 6, 2015 at 11:43pm

बेहतर लघुकथा , आदरणीय वीर जी. शीर्षक, कथ्य सभी कसे हुए है और लघुकथा पूर्ण प्रभाव छोड़ रही है, हार्दिक बधाई

Comment by jyotsna Kapil on May 6, 2015 at 5:55pm
बहुत बेहतरीन व सोचने को मजबूर करती लघुकथा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 6, 2015 at 5:31pm

आदरणीय वीरेंदर जी बहुत ही बेहतरीन लघुकथा 

अपने मर्म को संकेत से अभिव्यक्त करने में पूर्णतः सफल 

पंच लाइन अपना पूरा प्रभाव दिखा रही है 

बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 

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