For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारे अंदर का बनिया
सब कुच्छ बेचता है,
राम भी, कृष्ण भी,
धर्म और ईमान भी,
तीर और कमान भी.

अब उसके दुकान में
नये- नये समान हैं,
झूठाई, सपनों की मिठाई,
दंभ के साथ बढ़ती ढिठाई
ईन्हे वो रोज नई नई
जगहों पे सजाता है
ज़ोर से आवाज़ लगाता है

हिंदू हो या मुसलमान,
सिख हो या ख्रिस्तान,
उसके लिए सभी बराबर हैं.

वो बड़ी ईमानदारी से
बेईमानी बेचता हैं
दरअसल जो बिकता है
वही टिकता है.

मौलिक वा अप्रकाशित

Views: 866

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on April 16, 2015 at 11:12pm

आ. सौरभ जी, बहुत आभार. जी ध्यान रखूँगा.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2015 at 5:50pm

सही बात जो बिकता है वही टिकता (दिखता) है.. .

शुभकामनाएँ आदरणीय ..

रचना पोस्ट करने के वक्त अक्षरी-दोषों पर भी अवश्य ध्यान रहे, आदरणीय .. .

सादर

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on April 16, 2015 at 9:44am

कविता को पसंद करने के लिए -बहुत आभार श्री कृष्ण मिश्रा जी.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on April 16, 2015 at 9:41am

आभार सह धन्यवाद श्री हरी प्रकाश दूबे जी, टंकण में कृष्ण ही होना चाहिए. ठीक करने की कोशिश करता हूँ.

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 15, 2015 at 11:02pm

इस बेहतरीन कविता के लिए ढेरों बधाईयां प्रेषित है आ० विजय प्रकाश जी!

Comment by Hari Prakash Dubey on April 15, 2015 at 10:30pm

आदरणीय डॉ o विजय प्रकाश शर्मा जी, इस सुन्दर प्रयास ,सुन्दर रचना  पर हार्दिक बधाई आपको  सादर  !

सब कुच्छ बेचता है,/// क्या यहाँ  कुछ आना  चाहिये ?
राम भी, क्रिस्न भी,/////  कृष्ण ज्यादा  सार्थक  रहेगा ?.....सादर 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on April 15, 2015 at 6:47pm

बहुत -बहुत आभार आ. गोपाल नारायण जी.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 15, 2015 at 5:35pm

उसके लिए सभी बराबर हैं.

वो बड़ी ईमानदारी से
बेईमानी बेचता हैं---------------------अच्छे भाव हैं . सादर .

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on April 15, 2015 at 2:35pm

आ० जितेंद्रा जी, विजय शंकर जी . राज कुमार जी,
आप मित्रों का बहुत आभार की आपने रचना को सराहा.

Comment by rajkumarahuja on April 15, 2015 at 12:50pm

 " हमारे अन्दर का बनियाँ " सुन्दर अभिव्यक्ती माननीय डा. विजय प्रकाश शर्मा जी ...साधुवाद !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ।  करूँगा मैं चर्चा सबुर आप…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service