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ग़ज़ल -- मेरी बरबाद तमन्ना का जनाज़ा उठ्ठे

अरकान : २१२२-११२२-११२२-२२

मेरी बरबाद तमन्ना का जनाज़ा उठ्ठे
दिल-ए-रेज़ा से शबो रोज़ धुआँ सा उठ्ठे

ये तो मैं हूँ जो ग़मे जाँ से अभी वाबस्ता
मेरे हालात में तो कोई भी घबरा उठ्ठे

झूठ ही झूठ अदालत में दिखाई देता
सच की जानिब से भी तो कोई जियाला उठ्ठे

भूख से मौत के आगोश में जो पहुँचा है
अब न मुफ़लिस का वो सोया हुआ बच्चा उठ्ठे

दुख़्तरे रज़ के तलबगार सभी हैं साक़ी
बस तेरी बज़्म में इक ज़िक्र-ए-पियाला उठ्ठे

लोग दाँतों तले उँगली को दबा लेंगे 'दिनेश'
तेरे किरदार से थोड़ा भी जो पर्दा उठ्ठे

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by दिनेश कुमार on April 20, 2015 at 3:08am
हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय भाई शिज्जु जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 19, 2015 at 9:05pm
वाह दिनेश जी दिल खुश कर दिया आपने बेहतरीन ग़ज़ल है दिली दाद कुबूल फरमायें
Comment by दिनेश कुमार on April 19, 2015 at 6:49pm
आप के द्वारा सराहना के दो शब्द मेरे लिए मायने रखते हैं आदरणीय भाई वीनस केसरी जी। हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by दिनेश कुमार on April 19, 2015 at 6:47pm
हौसला अफ़्जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया भाई हरि प्रकाश दूबे जी।
Comment by दिनेश कुमार on April 19, 2015 at 6:46pm
हौसला अफ़्जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर जी।
Comment by दिनेश कुमार on April 19, 2015 at 6:44pm
हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय भाई नादिर खान साहब।
Comment by दिनेश कुमार on April 19, 2015 at 6:43pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय shree suneel साहब।
Comment by दिनेश कुमार on April 16, 2015 at 3:53pm
हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया भाई krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी।
Comment by दिनेश कुमार on April 16, 2015 at 3:49pm
हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर जी।
Comment by दिनेश कुमार on April 16, 2015 at 3:47pm
हौसला अफज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया मोहतरमा निधि साहिबा।

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