For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुमने पुकारा ही नहीं मुझको

मैं तो प्रेम रस से 
बादलों की तरह 
भरा हुआ 
बेचैन था 
तुम पर बरसने को
मगर 
तुमने पुकारा ही नहीं मुझको
सूखी 
प्यासी 
व्याकुल 
दरकती हुयी जमीन बनकर
मेरा बरस जाना 
जरूरी थी
क्योंकि 
मैं भरा चुका था 
अन्दर से 
पूरी तरह
मेरी हदों से बाहर 
निकला प्रेम रस
आँखों की कोरों से फूटकर
अश्रुधार बनकर
और बरसता रहा
उम्र भर

उमेश कटारा 
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by maharshi tripathi on March 13, 2015 at 9:51pm

आपकी कल्पना पर आपको सादर बधाई आ. umesh katara जी |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 13, 2015 at 6:52pm

बहुत सुंदर कल्पना. बधाई आदरणीय उमेश जी

Comment by umesh katara on March 13, 2015 at 6:50pm

आदरणीय Hari Prakash Dubeyजी शुक्रिया 

Comment by umesh katara on March 13, 2015 at 6:50pm

आदरणीय  krishna mishra 'jaan'gorakhpuriजी शुक्रिया 

Comment by umesh katara on March 13, 2015 at 6:49pm

आदरणीय Nidhi plus ji शुक्रिया 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 13, 2015 at 5:41pm

आदरणीय उमेश कटारा जी ,आजकल आपकी ग़ज़लों से हटकर कुछ नया पढने को मिल रहा है ,रचना अच्छी है ,बधाई आपको !सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:46pm

बहुत सुन्दर!!भावपूर्ण कविता आदरणीय उमेश सर! हार्दिक बधाईया!!

Comment by Nidhi Agrawal on March 13, 2015 at 3:30pm

अतृप्त श्रृंगार की बहुत अच्छी कल्पना है .. 

Comment by Nidhi Agrawal on March 13, 2015 at 3:28pm

बहुत ही सुन्दर रचना हुई उमेश 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  मैंने पिछले सारे आयोजन पढ़ें हैं आप की ग़ज़लें भी पढ़ी हैं। आप बहुत पुराने सदस्य…"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय , आपका अपने उस्ताद पर गर्व समझ  में  आता है , जो ठीक भी है आप रखता के मुहताज…"
43 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय Richa Yadav जी क्या ओहदेदार लोग आदमी/इंसान नहीं होते?? आदरणीय नीलेश भाई और अमीरुद्दीन भाई…"
49 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय गिरिराज भंडारी साहिब  आपने मूसीक़ी जिसका वज़्न २२२ है २१२ पर बाँधा है। हम…"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित भाई , ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया  के लिए आभार  1 - मौशिकी -- गलत नहीं है  ,…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"शुक्रिया , आदरणीय मयंक भाई आपका "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। उदासियों मे मेरी तू अभी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय Amit Kumar "Amit" जी आदाब  ग़ज़ल अभी बहुत सारा वक़्त और अभ्यास चाहती है। कई…"
2 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर प्रणाम sir जी 🙏धन्यवाद sir जी मंच पर पहली बार शामिल हुआ हूँ sir जी मैं कोशिश करुँगा और अच्छा…"
2 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर नमन आदरणीया जी धन्यवाद आपका मैं पुनः प्रयास करता हूँ 🙏"
3 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बेहतरीन सृजन हुआ है पितातुल्य 🙏अद्वितीय सृजन 🙏"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service