For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: खोह घाटी का सफर ....

२१२२   २१२२  २१२२ २१२२ 
कामयाबी रंग लाये  तब  जमाना पास आये |

रंज  बैरी भूल   जाये  हाथ थामे  रास  आये |

पात ना आये अगर डाली कहीं  सूखी हुई  हो  , 

फूल डाली पर खिले जैसे  नजारा खास आये |

हार कर  मायूस होना ये कहाँ का  हौसला  है ,

चाह मंजिल की अगर हो  जीत खुद ही पास आये | 

जले गा जब  दीप तो होगा  उजाला घर नगर में ,

तोड़ नफ़रत की दिवारें तब  पड़ोसी पास आये | 

राह हो  आसान तो  कोई  गुजर जाये   खुशी से ,

खोह घाटी का सफर वर्मा किसे अब  रास आये |

.

श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on March 5, 2015 at 10:01am

 आदरणीय गिरिराज जी और वंदना जी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by vandana on March 4, 2015 at 8:50pm

पात ना आये अगर डाली कहीं  सूखी हुई  हो  , 

फूल डाली पर खिले जैसे  नजारा खास आये |

हार कर  मायूस होना ये कहाँ का  हौसला  है ,

चाह मंजिल की अगर हो  जीत खुद ही पास आये | 

वाह बहुत खूब आदरणीय श्याम जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 4, 2015 at 4:56pm

आदरणीय श्याम नारयण भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

हार कर  मायूस होना ये कहाँ का  हौसला  है ,

चाह मंजिल की अगर हो  जीत खुद ही पास आये |   -- लाजवाब बात कही , भाई जी आपको बहुत बधाई ।

Comment by Shyam Narain Verma on March 4, 2015 at 3:06pm

आदरणीय गुमनाम जी , हरी प्रकाश जी , मिथिलेश जी , उमेश जी , डॉक्टर विजय शंकर जी , खुर्शीद जी , कृष्ण मिश्र जी और परी जी सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

मिथिलेश जी सही राय देने के लिए आप का बहुत बहुत आभार |

सादर .....

Comment by Pari M Shlok on March 4, 2015 at 1:45pm
सुन्दर ग़ज़ल
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2015 at 12:16pm

बहुत ही उम्दा गज़ल हुयी है,हार्दिक बधाई! आदरणीय!

Comment by khursheed khairadi on March 4, 2015 at 9:26am
पात ना आये अगर डाली कहीं  सूखी हुई  हो  , 

फूल डाली पर खिले जैसे  नजारा खास आये |

हार कर  मायूस होना ये कहाँ का  हौसला  है ,

चाह मंजिल की अगर हो  जीत खुद ही पास आये | 

आदरणीय श्याम जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 4, 2015 at 3:53am
प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , सादर।
Comment by umesh katara on March 3, 2015 at 9:19pm

अच्छी प्रस्तुति साहब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 3, 2015 at 9:07pm

आदरणीय श्याम नरैन वर्मा जी इस सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

मेरे हिसाब से यदि उचित लगे तो कुछ मिसरे ऐसे कहें तो --->

जले गा जब दीप तो होगा उजाला घर नगर में ---->अब जलाओं दीप तो होगा उजाला घर, नगर में (जले में ले मात्रा नहीं गिरा सकते)

राह हो  आसान तो  कोई  गुजर जाये  खुशी से----> राह हो  आसान तो  कोई  निकल जाये खुशी से ( गुजर जाना दुनिया से गुजरने की ओर संकेत कर रहा है या गुजर जाए का अर्थ मौत ध्वनित हो रहा है )

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
15 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service