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चाय का घूंट लेते हुए उनकी नज़र अखबार की एक खबर पर चली गयी. इलाके में एक लड़की की इज़्ज़त लुटी, आरोपी फरार"|
मन ही मन में राहत की सांस लेते हुए उन्होंने बगल में बैठी पत्नी से कहा " अच्छा हुआ , हमारी लड़की नहीं हुई वर्ना हमें भी डर के रहना पड़ता "|
पत्नी ने एक गहरी सांस ली और पिछले दिन का अखबार निकाला , पहले पन्ने पर छपी हुई तस्वीर जिसमें लड़कियां गणतंत्र दिवस के परेड की अगुआई कर रहीं थीं , उनके सामने रख दिया | चाय उनके हाँथ में ठंडी हो रही थी , वो पत्नी से नज़र नहीं मिला पा रहे थे |

 मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on February 2, 2015 at 12:45pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी बागी जी , आपकी टिप्पणी मनोबल बढाती है..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 2, 2015 at 11:08am

एक खबर यह भी....पति को बंधक बना पत्नी से सामूहिक बलात्कार ....तो क्या शादी भी न की जाय !!

बहुत ही सुन्दर विषय का चयन हुआ है, अच्छी लघुकथा लगी, बहुत बहुत बधाई आदरणीय विनय कुमार जी. 

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