For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 दुपट्टा

भारत के वक्ष पर

सलीके से पड़ा

सफ़ेद दुपट्टा

वायुयान से दिखी

धवल गंगा !

गंगा अब यहाँ नहीं बहती

साधु ने बालक से कहा

यह गंगा है

स्नान करोगे तो तर जाओगे

 

बालक बोला

कैसे साधु हो तुम

गंगा अब यहाँ नहीं बहती

इस नाले में नहाओगे

तो मर जाओगे !

मरी हुयी नदी

 

आत्मा जा चुकी है

शरीर बचा है

धीरेधीरे सड़ रहा है जो

पर हम मानते नहीं

गाय की मरी बछिया की तरह

चिपकाये है उसे

यह मानकर की

अभी वह मरी नहीं

जग को तारने वाली

स्वयं तो तरी नहीं

कहते है -संसद का मन चंगा

तो मरी हुयी नदी भी है

गंगा ! 

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on January 18, 2015 at 11:12pm

रोज़ दिखाता है समाचार 

सरकार रही गंगा तार 

राम को छोड़ गंगा पर आए हैं 

ये भुनाना जानते भावनाएं हैं 

हर युग में अपना प्रतिमान बदलते है 

वोटो के लिए पहचान बदलते हैं |

कीमत सही मिले तो बिक जाती किरन  

अच्छे-अच्छों  के ईमान बदलते हैं |

गंगा पर एक समग्र दृष्टी और उसकी वर्तमान स्थितिः का बहुत सटीक वर्णन आदरणीय |
|

ये 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2015 at 10:51pm

नमन सर .... गंगा को बिलकुल नए आयाम में व्यक्त करती इन तीन रचनाओं के लिए .... 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 18, 2015 at 9:18pm
मैं यह नहीं कहूँगा कि व्यंग बहुत तीव्र एवं तीखा है, मैं कहूँगा कि सत्य बहुत ही कटु, कठोर , भयानक और वीभत्स है.
बड़ी मुश्किल से सत्ता मिलती है,
चैन की सांस मुश्किल से मिलती है,
लोग चैन से बैठने नहीं देते हैं,
सत्ता का सुख भोगने नहीं देते हैं,
हम आ गए , सब खुशहाली हैं,
हमारी तो रोज होली - दीवाली है,
हम देखते हैं सब चंगा ही चंगा है,
हम खुश हैं तो कठौती में गंगा है ॥
चलिए, एक कोशिश है , कभी गंगा भी खुश हो जाए। आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी, शुभ हो, सादर।
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 18, 2015 at 8:45pm

वाह सर क्या खूब दृष्टि है सभी स्थितियों को सामने रख किया खूबसूरती से वाह .........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
10 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
10 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
11 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
11 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब, 'अमीर' साहब,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने ! और, हाँ, तीखा व्यंग भी, जो बहुत ज़रूरी…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"1212    1122    1212    22 /  112 कि मर गए कहीं अहसास…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service