For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"घर जला अपना जश्न कब तक मनाओगे"

राजा बहुत हैं, शतरंज के इस खेल में,

इनक़लाब का शोर कब तक मचाओगे ?

 

अभाव बहुत हैं, अंधेरों के इस खेल में ,

गीत उजियारो के कब तक सुनाओगे  ?

 

तलवारें बहुत हैं, अधर्म के इस खेल में,

भाई-भाई का नारा कब तक लगाओगे ?

 

सयानें बहुत हैं, राजनीति के इस खेल में,

मूर्ख किसको और कब तक बनाओगे  ?

 

किसने क्या पाया ,माया के इस खेल में,

घर जला अपना जश्न कब तक मनाओगे ?

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on January 4, 2015 at 11:04pm

आदरणीय जवाहर जी , रचना आपको पसन्द आई ,उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 4, 2015 at 6:25pm

किसने क्या पाया ,माया के इस खेल में,

घर जला अपना जश्न कब तक मनाओगे ?

बेहतरीन रचना ...बधाई!

Comment by Hari Prakash Dubey on January 3, 2015 at 8:45pm

आदरणीय  गिरिराज  भंडारी सर , बहुत बहुत  आभार आपका !

Comment by Hari Prakash Dubey on January 3, 2015 at 8:43pm

शिशिर जी , रचना पर आपकी सराहना के  लिए आपका आभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2015 at 8:32pm

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , वर्तमान की विडम्बनाओं का बढिया बयान है , आपको दिली बधाई ।

Comment by Shishir Dwivedi on January 2, 2015 at 9:53pm
आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी
बहुत उम्दा लिखा है आपने
पढ़ के मन प्रफुल्लित हो गया
Comment by Hari Prakash Dubey on January 2, 2015 at 8:52pm

उत्साहवर्धन  हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय खुरशीद जी ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on January 2, 2015 at 8:08pm

आदरणीय गोपालनारायण  सर , आपके आशीर्वाद के लिए कृतज्ञ हूँ ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 2, 2015 at 8:01pm

आदरणीय अनुराग जी , आपकी बात ठीक से समझ नहीं पाया , कृपया स्पष्ट करने की कृपा करैं !

Comment by Anurag Prateek on January 2, 2015 at 7:49pm

मैं तकती’अ करने में नाकामयाब रहा , मदद करें श्रीमान 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
6 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
8 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय आज़ी जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
9 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
11 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
11 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
12 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय यमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
14 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
15 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, आपकी इस इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा। "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ भाई आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी ठीक है *इल्तिजा मस'अले को सुलझाना प्यार से ---जो चाहे हो रास्ता निकलने में देर कितनी लगती…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service