For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आग लगाते वो कुछ इस तरह जो धुआँ तक नहीं होता(ग़ज़ल 'राज')

२११२ २१२२  १२२१  २२१२ २२

लोग हुनरमंद कितने किसी को गुमाँ तक नहीं होता

आग लगाते वो कुछ इस तरह जो धुआँ तक नहीं होता

 

जह्र फैलाते हुए उम्र गुजरी भले  बाद में उनकी

मैय्यत उठाने कोई यारों का कारवाँ तक नहीं होता

 

आज यहाँ की बदल गई आबो हवा देखिये कितनी

वृद्ध की माफ़िक झुका वो शजर जो जवाँ तक नहीं होता

 

मूक हैं लाचार हैं जानवर हैं यही जिंदगी इनकी  

ढो रहे हैं  बोझ पर दर्द इनका बयाँ तक नहीं होता

 

 ख़्वाब सजाते सदा आसमां पर महल वो बनायेंगे

 दिल की जमीं पर मुहब्बत भरा आशियाँ तक नहीं होता

 -------------------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 894

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2014 at 8:07pm

हरि प्रकाश जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ आपका हार्दिक आभार  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2014 at 8:06pm

मिथिलेश जी,तहे दिल से शुक्रिया.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2014 at 8:05pm

सोमेश भैया ,आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ ग़ज़ल के अनुमोदन के लिए दिल से आभार आपका. 

Comment by ram shiromani pathak on December 2, 2014 at 1:33pm

वाह वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी ज़ोरदार ग़ज़ल//हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 2, 2014 at 1:02pm

लोग हुनरमंद कितने किसी को गुमाँ तक नहीं होता

आग लगाते वो कुछ इस तरह जो धुआँ तक नहीं होता.........

बहुत ही शानदार ग़ज़ल आपको हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 2, 2014 at 1:46am
बेहतरीन ग़ज़ल। बधाई आपको।
Comment by somesh kumar on December 1, 2014 at 10:43pm

लोग हुनरमंद कितने किसी को गुमाँ तक नहीं होता

आग लगाते वो कुछ इस तरह जो धुआँ तक नहीं होता

 फलों से लदे  वृक्ष  झुकते हैं एवं ज्ञानी कभी अभिमानी नहीं होते ,सुंदर  गज़ल पर इस शे'र ने बहुत प्रभावित किया |बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 1, 2014 at 6:25pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी ,तहे दिल से आभार आपका. 

Comment by Shyam Narain Verma on December 1, 2014 at 2:29pm

बहुत खूब ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, गजल पर आपको दिल से बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 1, 2014 at 11:19am

आ० डॉ० विजय शंकर जी इस उत्साह वर्धन के लिए तहे दिल से आभार आपका|  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service