For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यार बैरी बना आशिकी के लिये |

शोर होता रहा रोशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे चाशनी के लिये |

बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाँदनी  के लिये |

लूट मचती रही चीख होता रहा , 
अश्क गिरते रहे ज़िंदगी के लिये |

हाथ बाँधे खड़े देखते रह गये ,   
घर जला आग में दोस्ती के लिये |

नाव डूबी वहीँ आब ना था जहाँ ,
यार बैरी बना आशिकी के लिये | 

श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on December 18, 2014 at 10:01am

अनुमोदन और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 18, 2014 at 12:35am

शोर होता रहा रौशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे ढीबरी के लिये |

बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाकरी के लिये |

लूट मचती रही शोर  होता रहा , 
अश्क गिरते रहे ज़िंदगी के लिये |

हाथ बाँधे खड़े देखते रह गये ,   
घर जला आग में दोस्ती के लिये |

नाव डूबी वहीँ आब कम था जहाँ ,
यार बैरी बना आशिकी के लिये | 

आदरणीय श्याम वर्मा जी आपने सुन्दर सर्जना की और  सुझाओं के बाद एक बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हो गई .... बधाई 

ये ग़ज़ल आज तो राधिका हो गई 

श्याम जीता रहा शायरी के लिए |

Comment by Shyam Narain Verma on November 25, 2014 at 2:54pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी और केतन कमल जी सही राय देने के लिए आप लोगों का बहुत बहुत आभार |

सादर ..............

Comment by Ketan Kamaal on November 25, 2014 at 12:18pm

Bahut achche sujhaav diye hai Ganesh Ji ne waaah achchi koshish hai sahab kahte rahiye qamyabi milegi zaroor duaa karta hun 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2014 at 11:14am

 लूट मचती  रही  चीख होता रहा  i इसमें चीख होता रहा के स्थान पर शोर होता रहा कर सकते है i बाकी  गजल अच्छी है i

Comment by Shyam Narain Verma on November 24, 2014 at 10:12am

बहुत बहुत धन्यवाद जी ,  आपका हार्दिक आभार  |

सादर ........................


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2014 at 6:09pm

//शोर होता रहा रोशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे चाशनी के लिये |//

शोर होता रहा रौशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे ढीबरी के लिये |

मतला को सुधारा है ताकि काफिया सही हो सके, वरना प्रस्तुत ग़ज़ल खारिज हो जाती .

//बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाँदनी के लिये |//

बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाकरी के लिये |

काफिया बदला है ताकि दोनो मिसरो मे रब्त हो सके . शेष सभी अशआर बढ़िया हैं, बहुत बहुत बधाई आदरणीय .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service