Comment
कल तक लिखे जिन खतों में, पढ़ते थे हम चेहरों को,
आज टेलेफ़ोन सी ही, सूरत उनकी हो गयी है;
बेहद खुबसूरत और बुलंद ख्यालात
प्रीत की पायल की छमछम, माँ के हाथों के निवाले;
समय चाहे जितना बदले, आओ हम इनको बचा लें;
बिलकुल सत्य कहा है आपने , यदि हमें अपनी संस्कृति और परंपरा को बचानी है तो इन बातों पर ध्यान देना होगा |
सुंदर रचना , बधाई स्वीकार करे नीरज त्रिपाठी जी |
आमों क़ी वे अम्बियाँ, थे हम कल जिनको चुराते,
बिकती हैं बाज़ार में वो, मेहरबानी हो गयीं हैं;
कल तक लिखे जिन खतों में, पढ़ते थे हम चेहरों को,
आज टेलेफ़ोन सी ही, सूरत उनकी हो गयी है;
badalte waqt ne jo chura liya humse ,un meethi yaadon ko dohra lia ..aaj waqt behka hai aise ki jeewan ki masoomiyat ko hi kha liya..
bahut khoob ..
बदलते वक़्त का बेहतरीन चित्रण ,प्रभावपूर्ण रचना केलिए बधाई |
प्रीत की पायल की छमछम, माँ के हाथों के निवाले;
समय चाहे जितना बदले, आओ हम इनको बचा लें;
ahhhhaaaa waah waah khubsurat shabdo me tab aur ab ko bayan karti ek behtareen rachna aabhar neeraj ji
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online